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World Heart Day 2021: दिल की स्टेंटबाजी

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दिल की आवाज को जिसने भी नजरअंदाज किया, वह ज्यादातर मामलों में बाद में पछताता ही है। यही बात दिल की सेहत पर भी लागू होती है। दिल जब परेशान होता है, उसके कामकाज पर असर पड़ता है तो वह कुछ संकेत देता है। एक बार जब संकेत मिल जाए तो सही जांच और इलाज की जरूरत होती है। हार्ट एक्सपर्ट्स से बात कर जांच, इलाज और दिल को सेहतमंद रखने के टिप्स दे रहे हैं लोकेश के. भारती

जब दिल की नलियों में ब्लॉकेज होता है तो कुछ लक्षण आने शुरू हो जाते हैं। ये लक्षण हैं:

सीने में दर्द
यह तीन स्थितियों में होता है, जिसे मरीज बता सकता है

1. एसिडिटी: यह परेशानी आमतौर पर खाना हजम होने से ही जुड़ी होती है। इसका दिल की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं होता। एसिडिटी और गैस की वजह से भी सीने में दर्द या जलन हो सकती है। अगर 30 से 35 साल की उम्र के बाद अचानक गैस या एसिडिटी की परेशानी होने लगे तो यह दिल के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
  • जब भी सीने में दर्द, भारीपन और जलन हो तो 20 से 30 मीटर (60 से 80 कदम) तक सामान्य चाल से चलकर देखें। अगर एसिडिटी की वजह से परेशानी है तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। दर्द भी कम या ज्यादा नहीं होगा।
  • छाती के नीचे और पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होगा। दर्द एक ही जगह होता है। दर्द एक चुभन के रूप में होगा।
  • यह परेशानी खाने-पीने के बाद ही होती है। गैस और डकार आएगी।
  • दिल की धड़कन में कोई बदलाव नहीं होगा।
2. एंजाइना: खून नली का रास्ता तंग होना
सबसे ज्यादा परेशानी एंजाइना और हार्ट अटैक के लक्षणों में फर्क करने में होती है। ऐसा नहीं है कि खतरा एंजाइना में नहीं है, लेकिन यह खतरा हार्ट अटैक की तुलना में छोटा होता है। एक बात तो पूरी तरह साफ है कि एंजाइना का मतलब है कि खून दिल तक पूरी मात्रा में नहीं पहुंच रहा है।

कैसे पहचानें कि एंजाइना की वजह से ही परेशानी है:
  • सीने में दर्द, जलन, भारीपन, पसीना आना सबकुछ हो सकता है। ऐसा भी महसूस हो सकता है कि कोई गला घोंट रहा है। यह दर्द आमतौर पर 30 सेकंड से ज्यादा समय तक रहता है। फिर आराम करने पर बंद हो जाता है।
  • -जब भी सीने में दर्द के ऐसे लक्षण हों तो फौरन ही घर में 20 से 30 मीटर चलें और फिर 5 से 10 मिनट के लिए बैठ जाएं।
  • -अगर चलते समय यह परेशानी कायम रहे और बैठने या आराम करने पर खत्म हो जाए या कुछ आराम मिले तो आमतौर पर यह एंजाइना की परेशानी होती है।
  • -इसमें एक उंगली से पॉइंट करके बताना मुश्किल होता है कि दर्द कहां पर हो रहा है। यह आमतौर पर बड़े एरिया में होता है।
तुरंत राहत के लिए...
जब एंजाइना का दर्द हो तो ग्लिसरिल ट्राइनाइट्रेट (Glyceryl Trinitrate) वाली 5mg की गोली जीभ के नीचे रख लें। यह मार्केट में सॉर्बिट्रेट (Sorbitrate) और आइसोर्डिल (Isordil) आदि ब्रैंड नाम से मिलती है। इससे आर्टरी की चौड़ाई बढ़ जाती है। इसके बाद डॉक्टर से जरूर मिलें। आगे का इलाज वही बताएंगे।

3. हार्ट अटैक: खून की नली का रास्ता बंद होना और बार-बार व लगातार एंजाइना की समस्या होने पर जब हम ध्यान नहीं देते तो यह हार्ट अटैक में बदल जाती है। इलाज 2 से 3 घंटों में शुरू हो जाना चाहिए। इसे ही गोल्डन आवर्स कहा जाता है।

कैसे पहचानें कि परेशानी हार्ट अटैक की वजह से है:
  • दर्द, जलन, भारीपन, पसीना आना सबकुछ हो सकता है।
  • सीने में उठने वाला दर्द कई बार लेफ्ट कंधे की तरफ बढ़ने लगता है। मरीज को बेचैनी होने लगती है।
  • इसमें होने वाला दर्द बहुत तेज होता है, एंजाइना में इतना दर्द नहीं होता। शुगर पेशंट की हालत ज्यादा खराब हो सकती है। हाई शुगर की वजह से दिल की नसें कई बार सुन्न हो जाती हैं, इसलिए हार्ट अटैक होने पर दर्द का अहसास ही नहीं होता।
  • मरीज अमूमन होश में होता है। दर्द से जरूर परेशान रहता है।
तुरंत राहत के लिए...
  • हार्ट अटैक हुआ हो तो मरीज को फौरन 300 gm की एस्प्रिन (Asprin) पानी के साथ दें। यह मार्केट में डिस्प्रिन (Disprin), एस्प्रिन (Easprin), इकोस्प्रिन (Ecospirin) आदि ब्रैंड नेम से मिलती है। ऐसा तभी करें जब पहले यह दवाई ले चुके हों। फिर भी डॉक्टर से पूछकर ही दवा लें
  • सॉर्बिट्रेट या आइसोर्डिल भी ले सकते हैं। अगर यह दवा पहली बार ले रहे हैं तो बीपी अचानक काफी कम हो सकता है। इसलिए एस्प्रिन लेना ही बेहतर है। अगर एस्प्रिन न हो तो ही सॉर्बिट्रेट लें।
नोट: इसके बाद डॉक्टर से जरूर सलाह लें। आगे की जांच और इलाज वही बताएंगे।

4. कार्डिऐक अरेस्ट
दिल किसी भी वजह से जब काम करना ही बंद कर दे या धड़कनें बहुत कम हो जाएं, सांस अचानक बंद हो जाए या टूटने लगे तो ये कार्डिऐक अरेस्ट के लक्षण हो सकते हैं। वैसे तो इसमें डॉक्टरी सहायता सबसे जरूरी है, लेकिन फौरन मदद के लिए CPR दिया जाना चाहिए जो इमरजेंसी लाइफ सेविंग का तरीका है।


अब टेस्ट की बात

कब होती है टेस्ट की जरूरत
  • हल्का काम करने या फिर बैठे-बैठे भी सांस फूले।
  • सीने में दर्द की शिकायत हो यानी एंजाइना के लक्षण हों।
  • हार्ट अटैक के लक्षण हों।
  • अगर दिल की बीमारी की ज्यादा रिस्की हिस्ट्री (माता या पिता को 40 साल या कम उम्र में दिल की बीमारी हुई हो) है।
  • अगर सीढ़ियों से 2 मंजिल तक चढ़ने पर सांस नहीं फूलता तो मान सकते हैं कि दिल फिट है।

पहले होती हैं छोटी जांच
ब्लड प्रेशर जांच: ब्लड प्रेशर हाई होना दिल के लिए अच्छा नहीं है। नॉर्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है।
खर्च: 50-60 रुपये

ECG: इसके ग्राफ को देखकर डॉक्टर 35 फीसदी मामलों में यह बता पाते हैं कि यह मामला दिल से जुड़ा है। अगर आगे जांच की जरूरत होती है तो आगे के लिए टेस्ट लिखते हैं।
खर्च: 200 से 400 रुपये

ट्रोपोनिन टेस्ट: आमतौर पर यह प्रोटीन दिल की मांसपेशी के खराब होने पर निकलता है। अगर ब्लड में इसकी मौजूदगी होती है तो इसका मतलब है कि इलाज की जरूरत है।
खर्च: 1200 से 2000 रुपये तक

कैल्शियम स्कोरिंग: अगर कैल्शियम स्कोरिंग 400 से ज्यादा है तो दिल के लिए खतरा है। खर्च: 2500 से 3000 रुपये

एको-कार्डियोग्रफी: यह एक तरह से हार्ट का अल्ट्रासाउंड है। जब बाकी टेस्ट करने का वक्त नहीं होता तो दिल की असल स्थिति देखने में यह मदद करता है। खर्च: 1500 से 2500 रुपये

अगर ऊपर के रिजल्ट लगभग सामान्य हों, लेकिन पेशंट को हार्ट की परेशानी के लक्षण आ रहे हों तो डॉक्टर ये टेस्ट करा सकते हैं:

TMT (ट्रेड मिल टेस्ट): पेशंट को ट्रेड मिल पर चलाया जाता है और हार्ट की रीडिंग ली जाती है। ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए TMT खासतौर पर फायदेमंद है। खर्च: 500 से 1000 रुपये

स्ट्रेस इको
अमूमन यह उन मरीजों को करने के लिए कहा जाता है जिनके घुटनों में समस्या होती है और वे ट्रेड मिल पर चल नहीं सकते। ऐसे में उनसे स्ट्रेस इको कराया जाता है यानी कुछ एक्सरसाइज कराकर पल्स रेट आदि देखी जाती हैं।
खर्च: 1000 से 2000 रुपये

जब ऊपर बताए टेस्ट से इस बात का यकीन हो जाता है कि ब्लॉकेज की स्थिति बनी हुई है तो फाइनल जांच के लिए 2 विकल्प होते हैं:

1. CT-एंजियोग्रफी
  • यह टेस्ट उस समय किया जाता है जब पेशंट या उसका अटेंडेंट यह कह देता है कि ब्लॉकेज पता लगने के बाद भी वह स्टंट नहीं डलवाएगा। डॉक्टर मरीज की ब्लॉकेज को दवा से ही क्लियर कराने की कोशिश करें।
  • इस टेस्ट को किडनी के मरीजों पर नहीं करते क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने वाला रंग (डाई)-किडनी पर बुरा असर डालता है।
  • इसमें कुछ हद तक रेडिएशन का खतरा होता है, इसमें इस्तेमाल होने वाला रंग रेडियोऐक्टिव होता है।
  • यह टेस्ट उस वक्त भी काम नहीं करता जब आर्टरीज में 20 से 30 फीसदी ज्यादा कैल्शियम जमा हो। इससे ब्लॉकेज का सही पता नहीं चलता। एंजाइना या फिर हार्ट अटैक का शक होने पर यह टेस्ट कराना बेहतर है।
खर्च: 14 से 15 हजार रुपये

2. एंजियोग्रफी
  • हार्ट अटैक के मामले में यह टेस्ट सबसे अच्छा है।
  • स्टेंट डालने यानी एंजियोप्लैस्टी करने का फैसला एंजियोग्रफी के बाद ही लिया जाता है। यहां इस बात को समझना जरूरी है कि CT-एंजियोग्रफी जांच से सिर्फ यह पता चलता है कि ब्लॉकेज है, वहीं स्टेंट डालने के लिए एंजियोग्रफी करना ही पड़ता है। इसलिए डॉक्टर अमूमन एंजियोग्रफी से पहले मरीज या अटेंडेंट से यह पूछ लेते हैं कि अगर ब्लॉकेज निकला तो स्टेंट डालना है या नहीं।
  • पहले इस जांच को करने में ज्यादा खून बहता था क्योंकि पैर में ट्यूब डाली जाती थी। अब बाहों में इसी ट्यूब को डाला जाता है इसलिए खून की बर्बादी कम होती है।
  • आज भी यही टेस्ट ब्लॉकेज पता करने का सबसे सही जरिया है। इस जांच को अमूमन हर तरह के हार्ट पेशंट पर कर सकते हैं।
खर्च: 14 से 15 हजार रुपये

ब्लॉकेज का इलाज है एंजियोप्लैस्टी
  • एंजियोप्लैस्टी करने का अधिकार उन्हीं कार्डियॉलजिस्ट को है जिन्होंने MD के बाद DM (डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन) की डिग्री भी ली हो। इसमें हार्ट सर्जन का काम नहीं होता। अगर ब्लॉकेज 2 आर्टरीजतक है तो इसे क्लियर करने के लिए बलूनिंग और स्टेंट का सहारा लिया जाता है। आर्टरीज में स्टेंट डालने से आने वाले समय में ब्लॉकेज का खतरा कम हो जाता है। स्टेंट डालने की प्रकिया को ही एंजियोप्लैस्टी कहा जाता हैं।
  • आजकल 4-5 ब्लॉकेज में भी स्टेंट की मदद से इलाज किया जाता है, लेकिन यह पेशंट की हिस्ट्री और स्थिति पर काफी हद तक निर्भर करता है।
  • यह ध्यान रहे कि स्टेंट डालना कोई स्थायी इलाज नहीं है। इसके साथ दवाई भी लेनी पड़ती है। इसलिए ऐसी स्थिति में पहुंचने से पहले यह जरूरी है कि हम सचेत हो जाएं।
एक स्टेंट के साथ खर्च: 2 लाख रुपये।

बाइपास यानी हार्ट सर्जरी
सर्जरी का फैसला हार्ट सर्जन, कार्डियॉलजिस्ट के साथ विचार करने के बाद लेते हैं। उन्हें जब टेस्ट आदि से यह समझ में आ जाता है कि ब्लॉकेज कई आर्टरीज में कई जगह है और दवा व स्टेंट डालने से फायदा नहीं होगा, तब वे बाइपास सर्जरी का निर्णय लेते हैं।

खर्च: 4 लाख रुपये लगभग
नोट: खर्च कम-ज्यादा मुमकिन है।
दवा अपने डॉक्टर की सलाह से लें।

बचाव के 10 टॉप टिप्स
  1. दिल को सेहतमंद रखने का तरीका है कि इसे बीमार ही न होने दें। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखें:
  2. स्मोकिंग न करें। स्मोकिंग करने से दिल की बीमारी की आशंका 50 फीसदी तक बढ़ जाती है।
  3. अपना लोअर बीपी 80 से कम रखें। ब्लड प्रेशर ज्यादा हो तो दिल के लिए काफी खतरा है।
  4. फास्टिंग शुगर भी 80 से कम रखें। डायबीटीज और दिल की बीमारी आपस में जुड़ी हुई हैं।
  5. रोजाना कम-से-कम 45 मिनट सैर और एक्सरसाइज जरूर करें।
  6. तनाव न लें।
  7. रेग्युलर चेकअप कराएं, खासकर रिस्क फैक्टर हैं तो और भी जरूरी। साथ ही कार्बोहाइड्रेट, नमक और तेल कम खाएं।
  8. डायबीटीज है तो शुगर के अलावा बीपी और कॉलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल में रखें।
  9. फल और सब्जियां खूब खाएं। दिनभर अलग-अलग रंग के 5 तरह के फल और सब्जियां खाएं। मौसमी फल-सब्जियां फायदेमंद हैं।
  10. रेड मीट (चार पैरोंवाले के जानवरों का मीट) कम खाएं। यह वजन बढ़ाने के अलावा दिल के लिए भी खतरनाक है।
  11. कॉलेस्ट्रॉल लेवल 200 से कम रखें।

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