Quantcast
Channel: जस्ट जिंदगी : संडे एनबीटी, Sunday NBT | NavBharat Times विचार मंच
Viewing all articles
Browse latest Browse all 485

बुखार के बाद के दर्द से ऐसे निपटें

$
0
0

चिकनगुनिया और डेंगू के मामले हाल में कुछ कम जरूर हुए हैं, लेकिन अब भी ढेरों मरीज अलग-अलग तरह के बुखार और उनसे जुड़ी समस्याओं को झेल रहे हैं, खासकर शरीर के दर्द से। इस तरह की समस्याओं से जुड़े तमाम सवालों के जवाब तलाशने के लिए एक्सपर्ट्स से बात की प्रियंका सिंह नेः


एक्सपर्ट्स पैनल
- डॉ. आर. के. सिंघल, हेड, इंटरनल मेडिसिन, बीएल कपूर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल
- डॉ. राजीव अग्रवाल, हेड न्यूरो-फिजियो यूटिन, एम्स
- डॉ. पामिला दुआ, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट, डिपार्टमेंट ऑफ फार्माकॉलजी, एम्स
- रेखा शर्मा, प्रेजिडेंट, डायबिटिज फाउंडेशन ऑफ इंडिया

इन दिनों के बुखार में दर्द इतना ज्यादा क्यों हो रहा है?

चिकनगुनिया और डेंगू में जोड़ों में तेज दर्द होता है। हालांकि इन दिनों चल रहे वायरल फीवर से भी पेन की शिकायत सामने आ रही है। फर्क सिर्फ फ्रिक्वेंसी का है। मसलन वायरल में कम, डेंगू में उससे ज्यादा और चिकनगुनिया में सबसे ज्यादा दर्द होता है। एक फर्क यह भी है कि वायरल का दर्द मसल्स में होता है, जबकि चिकनगुनिया का जोड़ों में। यह जॉइंट पेन घुटने, एड़ी, पंजों, कुहनियों, हथेलियों में ज्यादा होता है। साथ ही अकड़न भी महसूस होती है। यह दर्द मसल्स पेन के मुकाबले लंबे समय चलता है। पहले लगी चोटों का दर्द भी वायरस अटैक के बाद उभर आता है इसलिए अगर कहीं चोट लगी है तो उसे पूरी तरह ठीक हो जाने दें।

कब मिलेगी दर्द से राहत?

जहां तक इस दर्द से राहत का सवाल है तो यह 2-3 हफ्ते से लेकर करीब साल भर तक चल सकता है। यह काफी हद तक मरीज की इम्युनिटी पर भी निर्भर करता है। मोटेतौर पर चिकनगुनिया के 70-80 फीसदी मरीज 2-3 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं, जबकि बाकी 20-30 फीसदी के दर्द ठीक होने में महीनों लग सकते हैं। कुछ मरीजों के दर्द को पूरी तरह ठीक होने में साल भर भी लग सकता है।

क्या पेनकिलर ले सकते हैं? अगर हां, तो कब और कितना?

ज्यादा दर्द होने पर पेनकिलर ले सकते हैं लेकिन डेंगू की आशंका पूरी तरह खत्म होने के बाद ही। हार्ट, डायबिटिज और किडनी के मरीजों को खासतौर पर पेनकिलर से बचना चाहिए। जरूरत लगे तो पैरासिटामोल (Paracetamol) लें। 500-650 एमजी की दिन में दो-तीन बार ले सकते हैं। यह बुखार के अलावा पेनकिलर भी है। जिन्हें बुखार नहीं है, वे ट्रामाडोल (Tramadol) ले सकते हैं। यह मार्केट में अल्ट्रासेट (Ultracet), एक्युपेन (Acupain), डामोडोल (Domadol) आदि नाम से मिलती है। 50-100 एमजी की दिन में 2-3 बार तक ले सकते हैं। ये दवाएं सेफ हैं और जब तक जरूरत लगें, ले सकते हैं। बाकी कोई दवा भी दवा डॉक्टर से पूछकर ही लें। वैसे, पेनकिलर कम-से-कम ही खाना चाहिए। कोई भी दवा खाली पेट न लें।

दर्द से राहत के लिए सिकाई कितनी कारगर है?

सिकाई से दर्द में राहत मिलती है। अगर बहुत तेज और सूई जैसा तीखा पेन है तो आइस पैक से सिकाई करें। अगर दर्द हल्का है और अकड़न ज्यादा है तो हॉट पैक से सिकाई करें। अगर बुखार है तो हॉट पैक से सिकाई बिल्कुल न करें। एसा भी कर सकते हैं कि आइस पैक से शुरू करें और जब दर्द कम होने लगे तो हॉट पैक से सिकाई करें। आइस पैक के लिए एक पॉलिथिन में आइस भरकर उसके ऊपर हल्का कपड़ा लपेट कर सिकाई करें, जबकि गर्म सिकाई के लिए हॉट वॉटर बॉटल या गर्म पानी में टॉवल भिगोकर सिकाई करें। रोजाना दिन में 3-4 बार 10-15 मिनट सिकाई कर सकते हैं।

दर्द की स्थिति में कितना मूवमेंट करें?

जब तक बुखार रहे, पूरी तरह बेड रेस्ट करें। बुखार के दौरान बेड पर ही सूक्ष्म क्रियाएं यानी जोड़ों का हल्का-फुल्का मूवमेंट शुरू करें। मूवमेंट से ब्लड सप्लाई बढ़ती है और हीलिंग जल्दी होती है। चार-पांच दिन बाद रूटिन काम शुरू करें। हफ्ते भर बाद नॉर्मल लाइफ शुरू कर सकते हैं।•

पेनकिलर स्प्रे या जेल लगाएं या नहीं?

दर्द होने पर पेनकिलर स्प्रे या जेल लगा सकते हैं। ध्यान रखें कि वॉटर बेस्ड स्प्रे जल्दी शरीर में जज्ब होते हैं। ये पेन किलर हैं और दर्द के अलावा सूजन भी कम करते हैं। आयोडेक्स भी लगा सकते हैं। यह आयर्वेदिक प्रोडक्ट है इसलिए किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता। हालांकि कुछ एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि डिक्लोफिनैक सोडियम (Diclofenac Sodium) उम्रदराज लोगों के लिए सेफ नहीं हैं। ये मार्कट में वोविरॉन (Voveron), डोलो (Dolo), वोलिनी (Volini) आदि नाम से मिलते हैं। इन लोगों के लिए पैरासिटामोल (Paracetamol) या ट्रामाडोल (Tramadol) लेने की सलाह दी जाती है। ट्रामाडोल अल्ट्रासेट (Ultracet), एक्युपेन (Acupain), डोमाडोल (Domadol) आदि नाम से मिलता है। जेल या स्प्रे दिन में 2-3 बार लगा सकते हैं। हल्के हाथ से लगाएं। तेज मसाज न करें।

क्या तेल मालिश से कोई फायदा होता है?
मालिश इस तरह के दर्द में ज्यादा फायदेमंद नहीं होती। मसल्स रिलैक्स होने से सिर्फ फौरी राहत महसूस होती है।

फिजियोथेरपिस्ट की जरूरत कब?
अगर 8-10 दिन बाद भी दर्द कम न हो तो फिजियोथेरपिस्ट के पास जाएं। दर्द की वजह से जिन जॉइंट्स का लंबे समय तक नहीं मूव नहीं कर पाते, वे अकड़ जाते हैं। फिजियोथेरपिस्ट उन जॉइंट्स को चलाते हैं और इसमें दर्द भी नहीं होता। 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को फिजियोथेरपी की ज्यादा जरूरत पड़ती है। 8-10 सिटिंग्स में जॉइंटस से राहत मिल जाती है। वैसे, ज्यादा दर्द होने पर आप फिजियोथेरपिस्ट से टेंस (TENS) की मांग भी खरीद सकते हैं। यह छोटी-सी मशीन होती है तो जो हल्के इलेक्ट्रिकल करंट से नर्व्स को स्टिमुलेट करती है और पेन को ब्लॉक करती है। इसकी सेटिंग फिजियोशेरपिस्ट से करानी चाहिए। यह 2-4 हजार में आती है।

एक्सरसाइज कब शुरू करें?

बुखार उतरने और दर्द कम होने के बाद (करीब 8-10 दिन में) एक्सरसाइज शुरू कर सकते हैं। शुरुआत में स्ट्रेचवाली और कॉर्डियो वाली (स्वीमिंग, साइकलिंग, जॉगिंग आदि) एक्सरसाइज करें। स्ट्रेंथ यानी वजन उठाने वाली एक्सरसाइज महीने भर तक न करें।

डाइट में क्या ध्यान रखे?

जिस किसी को भी तेज बुखार है, फिर चाहे कोई-सा भी बुखार हो, उसे हर घंटे बाद गिलास भर लिक्विड लेना चाहिए। बेहतर है कि मरीज को खाली पानी के बजाय नीबू-पानी, ओरआरएस का घोल, शिकंजी, नारियल पानी, जूस, दूध, छाछ, मिल्क शेक आदि पीने को दें। बुखार में पानी शरीर से सेल्स में चला जाता है और शरीर के गर्म होने या पसीना आने से उड़ भी जाता है। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। खाने में फल, सब्जियां, दाल आदि ज्यादा खाएं। बुखार के दौरान ठोस खाने के बजाय सेमी-सॉलिड और कम मसाले वाला खाना खाएं। विटामिन-सी (नीबू, संतरा, कीवी आदि) भी खाएं। ये मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं। चाय-कॉफी से परहेज करें। ये लिक्विड को शरीर में सही से जज्ब नहीं होने देतीं।•

आयर्वेद में बुखार और दर्द का क्या इलाज है?
आयर्वेद में चिकनगुनिया फीवर का जिक्र नहीं है, लेकिन इसी से मिलते-जुलते संधि-ज्वर का जिक्र है, जिसके लक्षण बुखार, जोड़ों में दर्द और सूजन आदि हैं।
- गिलोय (गुडुची या अमृता) का सेवन करें। बेल से रस निकालकर दिन में 2 बार (5-10 एमएल) करीब एक-एक टी-स्पून लें। इसके कैप्सूल भी आते हैं। 500 एमजी का एक-एक दिन में दो बार कैप्सूल ले सकते हैं।
- तुलसी के 7-8 पत्तों को गर्म पानी, चाय या दूध में उबालकर दिन में दो-तीन बार लें। तुलसी कैप्सूल लेना है तो 500 एमजी का दिन में दो बार लें।
- भुइं आंवला लें का 500 एमजी का कैप्सूल सुबह-शाम लें।
- सौंठ शहद में मिलाकर ले सकते हैं, 5-5 ग्राम सुबह और शाम।
- हल्दी वाला दूध सुबह-शाम लें। हल्दी को दूध के साथ उबालें, फिर पिएं।
- इनमें से कोई एक ले लें।
- अश्वगंधा, आंवला या मुलहठी को किसी भी रूप में खाएं। तीनों में से एक कोई लें।
- दशमूल क्वाथ, रासनादि क्लाथ, पंचतिक्त क्वाथ में से कोई एक 12-15 एमएल सुबह-शाम, खाली पेट लें।
- सुदर्शन घनवटि, योगराज गुग्गुल या आयोग्यवर्धिनी वटी में से कोई 500 एमजी से 1 ग्राम तक रोजाना दिन में दो बार लें।
- गुनगुना पानी लें तो बेहतर है।

नोटः ये सारी चीजें दर्द से तो राहत दिलाती ही हैं, बुखार भी ठीक करती हैं। जब तक तबियत ठीक न हों, नियमित रूप से लेते रहें।


(यहां बताई गई बातें आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए हैं। कोई भी दवा अपने डॉक्टर से पूछकर लेना बेहतर है। )

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 485

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>