रंग में भंग न डालने दें कोरोना को
कल होली है। इस रंगारंग त्योहार की बधाई। वैसे तो मौसम अच्छा है और सभी ने होली खेलने की तैयारी की हुई है। लेकिन वक्त की नजाकत भी समझें। कोरोना ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। अगर घर से बाहर जाकर बहुत सारे लोगों के साथ होली खेली तो कहीं कोरोना अपना खेला न कर दे। इसलिए बेहतर होगा कि अपने घर में रहते हुए ही यानी सिर्फ अपने परिवार के साथ ही होली खेलें।
कोरोना न हो, इसके लिए क्या करें?
1. मास्क लगाएं
2. 6 फुट की दूरी रखना
3. 20 सेकंड तक हाथ धोना
मास्क को न भूलें
कोरोना से बचाने में मास्क से ज्यादा कारगर कुछ नहीं है। इसे अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लेना ही बेहतर है। मास्क पलूशन से भी बचाता है। मास्क पहनने के बाद भी बाहर रहते हुए आपस में 6 फुट की दूरी बनाए रखें।
- कोई भी मास्क खरीदें तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि वह कम से कम 3 लेयर वाला हो।
- मास्क मुंह और नाक को अच्छी तरह से कवर करे। उसे बार-बार एडजस्ट करने की जरूरत न हो।
- मास्क न पहनने के बहाने ढूंढने से कुछ नहीं होगा, मास्क पहनना ही होगा।
- 2 साल से बड़े सभी बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को घर से बाहर जाते हुए मास्क पहनना चाहिए।
- घर में कोरोना मरीज है तो उसकी देखभाल करनेवाले जरूर अच्छी क्वॉलिटी का मास्क लगाएं।
- अगर कोरोना के लक्षण हैं लेकिन रिपोर्ट नहीं आई है, तब घर में भी मास्क पहने रहें।
- घर में कोरोना मरीज अपने कमरे के अंदर बंद है तो बाकी सदस्य मास्क हटाकर रह सकते हैं।
सर्जिकल मास्क
कोई भी 3 लेयर वाला मास्क काम करेगा। 'यूज एंड थ्रो' वाला सर्जिकल मास्क भी बढ़िया है। यह 6 फुट की दूरी से कोरोना वायरस से बचाता है। हवा में मौजूद बड़े पलूशन के कणों को भी रोकता है, लेकिन छोटे डस्ट पार्टिकल को रोक नहीं पाता।
कपड़े का मास्क
यह भी बहुत ही कारगर मास्क है। इसमें दम घुटने की शिकायत भी नहीं होती और यह लगभग सभी तरह के डस्ट पार्टिकल्स से भी बचाता है। इसे धोकर बार-बार इस्तेमाल करना भी आसान है। हां, इस बात का जरूर ध्यान रखें कि कपड़े का मास्क कम से कम 3 लेयर का हो। अगर 4-5 की संख्या में कपड़े के मास्क रखेंगे तो पहले मास्क को पहनने और साफ करने के बाद उसकी अगली बारी 5 दिनों बाद ही आएगी।
बिना वॉल्व वाला N-95 मास्क
N-95 मास्क सबसे अच्छा है, लेकिन बिना वॉल्व वाला। दरअसल, कोई भी वॉल्व वाला मास्क रिस्की हो सकता है। खासकर जो एन-95 मास्क लगाता है, उसके आसपास मौजूद शख्स के लिए। अगर कोई शख्स कोरोना पॉजिटिव है तो वह साफ हवा खींचता है, लेकिन वह जो हवा छोड़ता है वह दूसरों तक पहुंच सकती है। वैसे N-95 मास्क को ज्यादातर डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ इस्तेमाल करते हैं। वहीं कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भी अस्पताल में इस मास्क को लगाने के लिए कहा जाता है।
ऐसे पहनें मास्क
- जितना जरूरी मास्क पहनना है, उतना ही जरूरी है उसे ठीक से पहनना।
- मास्क ऐसा होना चाहिए कि नाक, मुंह और ठुड्डी सही ढंग से ढक जाएं।
- मास्क ढीला नहीं होना चाहिए यानी मास्क और चेहरे के बीच में ज्यादा जगह न हो। सांस लेते समय हवा मास्क से गुजरनी चाहिए, साइड से नहीं।
- ऐसा मास्क नहीं पहनना चाहिए जिससे सांस लेने में दिक्कत हो।
- मास्क पहनने के बाद उसे बिना हाथ धोए या सैनिटाइज किए बगैर छूना नहीं चाहिए। छूने के बाद फिर हाथ सैनिटाइज करें।
- अगर नाक या मुंह पर पसीने की वजह से खुजली हो तो बाजू से ही खुजाएं।
- मास्क उतारने के बाद 20 सेकंड तक साबुन से हाथ साफ करें। घर के सभी लोग अपना मास्क अलग-अलग रखें।
सोशल डिस्टेंसिंग
घर में अगर कोरोना मरीज नहीं है तो सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत घर के अंदर नहीं है।
शॉपिंग या भीड़-भाड़ वाली जगह जाने पर 6 फुट की दूरी का पालन करना बहुत जरूरी है।
भीड़-भाड़ से बचें। किसी भी बंद जगह पर 10 मिनट से ज्यादा न रुकें, वह भी तब जब आप मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हों।
सैनिटाइजिंग
- मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के बाद कोरोना से बचाने में यह एक कारगर हथियार है।
- पॉकेट में सैनिटाइजर भी जरूर रखें और समय-समय पर इसका इस्तेमाल करें।
- अगर साबुन हो तो पहले उसका उपयोग करें। 20 सेकंड तक हाथ अच्छी तरह मलें और फिर धो लें।
कोरोना मरीज के संपर्क में आने पर क्या करें?
- इसमें उन दोनों की जिम्मेदारी बनती है, जो पॉजिटिव हो चुका है और दूसरा जो संपर्क में आया है।
- कोरोना पॉजिटिव होने पर मरीज को फौरन ही यह सूचना दे देनी चाहिए कि जो भी उनके संपर्क में आए हैं वे कोरोना टेस्ट करवा लें और आइसोलेशन में चले जाएं।
- वहीं जो शख्स कोरोना पॉजिटिव शख्स के संपर्क में आया है और अगर संपर्क का समय 2 से 5 मिनट का है और दोनों के बीच की दूरी 6 फुट से ज्यादा है, दोनों ने मास्क लगाया हुआ है तो कोरोना इंफेक्शन की गुंजाइश 2 फीसदी से कम है। फिर भी शुरुआती 3 से 5 दिनों तक खुद को आइसोलेशन में रखना चाहिए।
RT-PCR टेस्ट
- कोरोना के लिए यही सबसे सटीक टेस्ट है।
- यह टेस्ट कई लैब्स और अस्पतालों में होता है।
- कुछ लैब कोरोना टेस्ट करवाने के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा देती हैं।
- RT-PCR टेस्ट की कीमत: 700 से 1000 रुपये तक है। इसके अलावा होम कलेक्शन चार्ज 100 से 300 रुपये हो सकता है। यह रिपोर्ट अमूमन 6 घंटे से 12 घंटे तक में आ जाती है। कभी-कभी इसमें 24 घंटे लगते हैं।
इस रिपोर्ट में सीटी वैल्यू जरूर देखें। अगर किसी की सीटी वैल्यू 24 या इससे ज्यादा है तो इसका मतलब है कि उसके शरीर में वायरस की मात्रा काफी कम है यानी वह दूसरों को इंफेक्शन कम फैला पाएगा। फिर भी उसे आइसोलेशन में रहना चाहिए और मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए। हालिया स्टडी में यह बात सामने आई है कि सीटी वैल्यू 34 या इससे ज्यादा है तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। इलाज घर में ही हो सकता है। अगर किसी की टेस्ट रिपोर्ट में सीटी वैल्यू 20 से कम है तो इसका मतलब है उसके शरीर में वायरस लोड ज्यादा है। इसलिए उसे ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
नोट: कई डॉक्टर सीटी वैल्यू की ज्यादा उपयोगिता से इनकार करते हैं। उनका कहना है कि हमने ऐसे कई केस देखे हैं जब मरीज की सीटी वैल्यू 30 से ऊपर थी, लेकिन उसमें कोरोना के कई लक्षण दिख रहे थे। उनकी सांस भी फूल रही थी।
होम आइसोलेशन या अस्पताल में भर्ती होना
- अगर कोरोना पॉजिटिव मरीज बुजुर्ग हो, शुगर, बीपी, किडनी जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो, तब उस पर खास ध्यान देने की जरूरत है। डॉक्टर के संपर्क में रहें।
- चूंकि कोरोना का इलाज अब भी नहीं है। वैक्सीन भी बचाव ही है। इसलिए इसके लक्षणों का ही इलाज किया जाता है। अगर मरीज को छाती में भारीपन, सांस फूल रही हो, बीपी की परेशानी लग रही हो, चक्कर आ रहे हों तो फौरन ही अस्पताल का रुख करें।
- अगर ऐसी परेशानी नहीं है तो होम आइसोलेशन की तैयारी करें।
आइसोलेशन के लिए कमरे का चुनाव करते समय यह देखें कि कमरा हवादार है या नहीं? कमरे में एक बालकनी भी जरूर हो। अगर कमरा हवादार होगा तो जिस कमरे में मरीज रह रहा हो, उस कमरे का दरवाजा बंद करके रखने में आसानी होगी। इससे घर के बाकी सदस्यों तक इंफेक्शन फैलने का खतरा काफी कम हो जाता है।
- साथ ही अटैच्ड बाथरूम भी हो ताकि अगर कमरे में खिड़की या वेंटिलेशन की व्यवस्था न भी हो तो बाथरूम का दरवाजा और खिड़की खोलकर रखने से ताजा हवा और रोशनी मिलती रहेगी।
- वह बाथरूम सिर्फ कोरोना मरीज ही इस्तेमाल करता हो।
- अगर घर में एक ही बाथरूम है और सदस्य कई हों, तब मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाना ही ठीक है। इससे दूसरों को इंफेक्शन फैलने का खतरा भी कम हो जाएगा।
- अगर अस्पताल में भर्ती कराने का विकल्प न हो तो मरीज जब भी बाथरूम इस्तेमाल करे, तब उसे केमिकल से साफ करें।
कोरोना हेल्पलाइन नंबर (24 घंटे, सातों दिन)
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
11-23978046, 1075
दिल्ली हेल्पलाइन
011-22307145, 011-61193786
उत्तर प्रदेश हेल्पलाइन
18001805145
नोट: ऊपर बताए हुए नंबरों पर फोन करने के बाद कई तरह की जानकारियां देनी होती हैं, जैसे: मरीज और उसके परिवार के बारे में, सही पता, मोबाइल नंबर और घर में कितने कमरे हैं आदि के बारे में पूरी जानकारी देनी होती है। ऊपर बताए गए सभी नंबर काम कर रहे हैं। यह जानने के लिए हमने खुद इन नंबरों पर फोन करके चेक किया।
ईमेल आईडी
ncov2019@gov.in कोरोना की जानकारी के लिए यहां ईमेल करके मदद मांग सकते हैं। आमतौर पर अमूमन आधे घंटे में जवाब आ जाता है।
इनके अलावा mohfw.gov.in या ncdc.gov.in भी विजिट कर सकते हैं।
आइसोलेशन में इन बातों का रखें ध्यान
हर 6 घंटे पर तापमान और ऑक्सीजन का स्तर जांचें। इसके लिए थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर घर पर जरूर हो।
कब नापें तापमान और ऑक्सीजन स्तर
सुबह: 8 बजे दोपहर: 2 बजे रात: 8 बजे
- अगर कभी इस बीच में बुखार ज्यादा लगे या सांस फूले तो फिर से नाप लें।
- इन्हें नोट भी करते चलें ताकि डॉक्टर को इलाज करने में मदद मिले।
- ऑक्सीमीटर अगर एक ही है तो ऑक्सीजन स्तर जांचने से पहले यह जरूरी है कि हाथों को सैनिटाइज किया जाए। कभी भी ऑक्सीमीटर को सैनिटाइज न करें। इससे ऑक्सीमीटर की रीडिंग गलत हो सकती है या फिर ऑक्सीमीटर ही खराब हो सकता है।
- घर में 2 मरीज होने पर शरीर का तापमान देखने के लिए अलग-अलग थर्मामीटर का इस्तेमाल करना अच्छा है।
- मरीज डॉक्टर को रोजाना अपनी मौजूदा हालत की जानकारी दे।
- आराम से बैठने के बाद ऑक्सीमीटर को उंगली पर लगाकर ऑक्सीजन चेक करें। उस समय नाखून पर नेलपॉलिश या सैनिटाइजर न लगा हो और न ही हाथ गीले हों।
- जब घर में कोई कोरोना पेशंट हो तो बाकी सदस्यों को भी फौरन ही RT-PCR टेस्ट करवा लेना चाहिए।
- अगर रिपोर्ट नेगेटिव आए तो 4 दिनों बाद फिर से करवा लें।
- अगर हार्ट रेट 100 से ऊपर हो।
- अगर शख्स बीपी का मरीज नहीं है, लेकिन कोरोना की वजह से बीपी हाई या लो हो। अगर हाई बीपी 140/90 या इससे ऊपर हो और लो बीपी 100/65 या इससे नीचे हो तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
- अगर ऑक्सीजन का स्तर 92% से कम हो तब भी।
- अगर बुखार 101 से ऊपर चला जाए।
जब सांस फूले, बहुत खांसी आए, छाती में दर्द हो, ऑक्सीमीटर पर ऑक्सीजन 90% से कम हो तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाएं। इसके लिए पहले डॉक्टर से भी पूछ सकते हैं।
घर को सैनिटाइज कैसे करें?
सैनिटाइजेशन के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट केमिकल का इस्तेमाल करें। इस केमिकल को पानी के साथ मिलाकर स्प्रे किया जाता है। इसके लिए 5% सोडियम हाइपोक्लोराइट केमिकल इस्तेमाल करते हैं। जितना केमिकल लेते हैं, उसका 6 गुना पानी उसमें मिलाते हैं। इसके बाद इस घोल का छिड़काव किया जाता है।
घर के दो या तीन सदस्य एक ही कमरे में रह सकते हैं?
ऐसे मरीज एकसाथ जरूर रह सकते हैं। अगर दोनों मरीजों को अलग-अलग कमरे रखने की व्यवस्था हो तो बेहतर है। जब दो मरीज एक ही कमरे रह रहे हों तो दोनों के बेड जरूर अलग-अलग लगवा दें। जहां तक दोनों की रिपोर्ट में सीटी वैल्यू में फर्क की बात है तो यह उनके इम्यून सिस्टम की क्षमता पर निर्भर करता है। साथ ही टेस्ट में सैंपल लेते समय कितना वायरस आ सका है, इसका असर भी सीटी वैल्यू पर पड़ता है। इसलिए दो-तीन कोरोना मरीजों को एक ही कमरे में रखने में कोई समस्या नहीं है। इस दौरान वे मास्क जरूर पहनकर रखें।
10 गलतियां जिनसे कोरोना फिर फैला
1. लॉकडाउन खत्म होने और वैक्सीन आने के बाद सब निश्चिंत हो गए कि कोरोना अब हार चुका है।
2. यह सोचना कि पिछले साल से अब तक तो कोरोना मुझे छूकर निकल चुका होगा और शरीर में ऐंटिबॉडी भी तैयार होंगी।
3. मास्क का उपयोग कम करना या फिर मास्क सही तरीके से न लगाना।
4. मास्क से नाक-मुंह ढकने की जगह सिर्फ ठुड्डी कवर करना। इस स्थिति में कोरोना का इंफेक्शन आसानी से हो सकता है।
5. ढीला मास्क पहनना। ऐसे में कोरोना वायरस को नाक तक पहुंचने का रास्ता मिल ही जाता है।
6. पार्टी में, बाजार, ट्रेन, बस, मेट्रो, धार्मिक स्थलों और टूरिस्ट प्लेस पर जाने के दौरान मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान न रखना।
7. दो गज यानी 6 फुट की दूरी को कम करते हुए आधा या 1 फुट में बदल देना।
8. पहले दुकानों के बाहर गोले बने थे या निशान लगे थे कि ग्राहक आपस में कितनी दूरी पर खड़े होंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का यह तरीका गायब होना।
9. बाहर से सब्जी, फल आदि लाने पर उसे गुनगुने पानी या नमक वाले पानी या इमली वाले पानी से साफ करने का चलन कम कम कर देना।
10. घर में काम करने के लिए बाहर से आनेवालों के चेहरे से मास्क हट जाना। अब 20 सेकंड तक हाथ धोने का चलन कम होना।
ये करेंगे इम्यूनिटी मजबूत
विटामिन और मिनरल लें? खानपान कैसा हो?
- अगर मरीज सामान्य खाना ले रहा है तो उसे वही खाने के लिए दें।
- ज्यादा तेल-मसाले न दें। ऐसा खाना पचाने में समस्या हो सकती है।
- हर दिन एक फल जरूर दें। आजकल संतरा और कीवी बाजार में उपलब्ध है। ये विटामिन-सी के अच्छे सोर्स हैं।
- इसके अलावा नीबू-पानी पीने की इच्छा हो तो दे सकते हैं। अगर बीपी लो है तो कुछ मात्रा में नमक मिला लें और हाई है तो नमक न मिलाएं।
- विटामिन-बी, सी, डी, जिंक आदि सप्लिमेंट्स बिना डॉक्टर से पूछे न दें। अगर वे कहें तभी खाएं।
- गर्मी का मौसम आ ही चुका है। ऐसे में धूप से विटामिन-डी लेने का बेहतरीन समय है।
- हर दिन सुबह 8 से 11 बजे के बीच 30 से 35 मिनट के लिए धूप में बैठें।
- अगर लगातार धूप में न बैठ सकें तो बीच में 10 मिनट रुकें और फिर धूप में बैठ जाएं।
- कई बीमारियों की जड़ में विटामिन-डी की कमी भी एक वजह होती है।
- इम्यूनिटी मजबूत करने में भी विटामिन-डी की अहम भूमिका है।
अणु तेल: यह तेल नाक के अंदर लगाकर ही घर से बाहर जाएं। बाजार में यह इसी नाम से मिलता है। इससे वायरस नाक के सुराखों के अंदर पहुंचने पर भी गले तक या उसके आगे काफी कम मात्रा में जाता है। किसी घर में कोरोना मरीज है तो घर में सभी सदस्यों को यह तेल नाक में लगाना चाहिए।
सुबह तेल से भी कुल्ला करें
इरिमेदादि तेल: इसे दांत साफ करने वाला तेल भी कहते हैं। यह कई नामों से बाजार में मिलता है। घर से बाहर निकलने से पहले इस तेल से कुल्ला कर लें। मुंह में तेल भरकर घुमाते रहें, 2 मिनट बाद फेंक दें। इससे मुंह में तेल का एक स्तर बन जाता है। वायरस के गले के अंदर तक पहुंचने की गुंजाइश कम हो जाती है।
जरूरी बातें
- पिछले हफ्ते इसी पेज पर कोरोना वैक्सीन के लिए कोविन वेबसाइट के बारे में बताते हुए भूलवश covin लिख दिया गया था, जबकि यह CoWIN वेबसाइट है। यहां रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके लिए आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- कोई भी शख्स जो 45 साल से ज्यादा उम्र का हो (जन्म 1 जनवरी 1977 से पहले का), 1 अप्रैल के बाद वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकता है।
- अगर शुगर, बीपी, हार्ट की समस्या हो, वैक्सीन से एलर्जी की शिकायत हो तो उसे पहले CRP (सी-रिऐक्टिव प्रोटीन) और D-Dimer टेस्ट जरूर करा लेना चाहिए। यह शरीर के भीतर मौजूद सूजन के बारे में जानकारी देता है। अगर सूजन है तो पहले डॉक्टर से मिलकर दवा लें। फिर वैक्सीनेशन कराना चाहिए।
रिपोर्ट: उसी दिन, कैसे: खून से
D-Dimer: खून में थक्का जमने की स्थिति के बारे में बताता है।
खर्च: करीब 1000 रुपये, रिपोर्ट: उसी दिन
कैसे: खून से
वैक्सीन लगवाने का तरीका
वैक्सीन के लिए COWIN वेबसाइट या आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। वेबसाइट ऐप पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें और Send OTP पर क्लिक करें। ओटीपी दर्ज करें और वेरिफाई बटन पर क्लिक करें।
Aarogya Setu ऐप से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आईफोन यूजर्स को ऐप ओपन करते ही चार चीजें ऊपर ही दिखेंगी: Your Status, Covid Updates, Vaccination और CoWin. अब पूरी जानकारी लेने के लिए CoWin पर टैप करें या उससे पहले दिख रहे Vaccination पर टैप करके सीधे रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद कंफर्म मेसेज मिलेगा।
एक्सपर्ट पैनल
- डॉ. के. के. अग्रवाल, प्रेसिडेंट, हार्ट केयर फाउंडेशन
- डॉ. अरविंद लाल, एग्जिक्युटिव चेयरमैन, डॉ. लाल पैथ लैब्स
- डॉ. यतीश अग्रवाल, डीन मेडिकल, IP यूनिवर्सिटी
- डॉ. (प्रो.) संजय राय, कम्यूनिटी मेडिसिन, एम्स
- डॉ. अंशुल वार्ष्णेय, सीनियर कंसल्टेंट, फिजिशन
- डॉ चंद्रकांत लहारिया, पब्लिक पॉलिसी एंड हेल्थ सिस्टम एक्सपर्ट
- डॉ. सत्या एन. डोरनाला, वैद्य-साइंटिस्ट फेलो
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