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मुरझाए चेहरों को दें मुस्कान का गिफ्ट

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प्यारे बच्चो मैं आपसे जिंदगी के लक्ष्य और उसे जीने के तरीके के बारे में कुछ बात करना चाहता था। मुझे लगता है कि आप इतने बड़े हो गए हैं कि उन बातों को समझ सकते हैं, जो मैं कहना चाहता हूं। मैंने दिल की बीमारियों से जूझ रहे 4 हजार से ज्यादा छोटे-छोटे बच्चों की सर्जरी की हैं। उनमें से ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों के थे। मैं गरीब बच्चों का फ्री इलाज करता हूं। मुझे लगता है कि इस तरीके से मैं उन सभी चीजों के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा कर सकता हूं, जो उसने मुझे दी हैं।

मुझे लगता है कि यह दुनिया बेहद खूबसूरत है और जो लोग मेरे जैसे सौभाग्यशाली नहीं हैं, उनके लिए मैं इसे खूबसूरत बनाने की कोशिश करता हूं। आखिर मैंने इस रास्ते को क्यों अपनाया? दरअसल, मेरे माता-पिता बार-बार बीमार होते थे। बचपन से ही मेरे मन में ऐसा डर बैठ गया था कि मैं अपनी मां को खो दूंगा। मेरे पिता को भी गंभीर स्टेज का डायबीटीज था। ऐसे में हमारे परिवार में ऐसा माना जाता था कि डॉक्टर ही ईश्वर का दूसरा रूप होता है क्योंकि वह दूसरों की जिंदगी बचाता है।

बचपन की एक घटना याद आ रही है जिसने मेरे जीने की दिशा बदल दी। शनिवार की शाम थी। मैं माचिस की तीलियों से कार बनाने की कोशिश कर रहा था। मेरी मां एक रिश्तेदार से बात कर रही थीं। उन्होंने मेरी मां को एक ऐसे सर्जन के बारे में बताया जिसने उनके बेटे की जान बचाई और पूरी तरह से फ्री इलाज किया। मेरी मां और वह रिश्तेदार उस डॉक्टर की मां को दुआ दे रही थीं जिसने ऐसा बेटा पैदा किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह दुनिया ऐसे ही अच्छे इंसानों की वजह से चल रही है। यही वह समय था जब मुझे जिंदगी जीने का एक मकसद मिल गया। मैंने दुनिया के हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने का फैसला किया। मेरा अच्छा नसीब था कि मैं सही वक्त पर सही जगह पहुंच गया। इंग्लैंड में जब मैं हार्ट सर्जन की ट्रेनिंग ले रहा था तो मेरे कॉलीग्स मुझे ऑपरेटिंग मशीन के नाम से बुलाते थे क्योंकि मुझे हार्ट की सर्जरी बहुत पसंद थी।

1989 में मैंने इंग्लैंड छोड़ दिया और कोलकाता में बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च सेंटर की शुरुआत की। जल्दी ही इसमें हमने पीडियाट्रिक हार्ट सर्जरी की शुरुआत कर दी। यह सेंटर मेडिकल हिस्ट्री का मील का पत्थर साबित हुआ। उस वक्त मेरी मां मेंगलोर के पास एक छोटे-से गांव में रहती थीं। उस दिन मेरे पिता की बरसी थी और वह पूरे दिन प्रार्थना में व्यस्त रहीं। शाम के समय मेरी बहन टीवी देख रही थी।

अचानक नैशनल नेटवर्क पर एक खबर देखकर वह चिल्लाई और मां के पास पहुंची। मां ने टीवी में देखा कि उसका बेटा यानी मैं नौ दिन के एक बच्चे के साथ हूं, जिसकी कामयाब ओपन हार्ट सर्जरी की गई थी। वह उस वक्त देश में सबसे कम उम्र का बच्चा था, जिसकी इस तरह की हार्ट सर्जरी की गई थी। देश में नवजात की हार्ट सर्जरी की यह शुरुआत थी। मुझे लगता है कि उस वक्त बहुत से लोगों ने मेरी मां के लिए दुआ की होगी।

एक और घटना आपसे शेयर करना चाहता हूं। क्या आप पीडियाट्रिक सर्जन की परिभाषा जानते हैं? डिक्शनरी कहती है कि वह एक ऐसा सर्जन होता है, जो बच्चों की दिल की बीमारियों का इलाज करता है। मदर टेरेसा को जब हार्ट अटैक हुआ, तो उनकी केयर करने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई थी। आईसीयू में मौजूद मदर टेरेसा ने मुझे दिल की बीमारी से पीड़ित एक बच्चे की जांच करते हुए देखा। कुछ ही पलों के बाद वह मेरी ओर मुड़ीं और बोलीं, 'अब मुझे पता चला कि तुम इस दुनिया में क्यों आए हो। दिल की बीमारियों से पीड़ित बच्चों की परेशानी दूर करने के लिए ही ईश्वर ने तुम्हें इस दुनिया में भेजा है।' मेरे लिए शायद यह जिंदगी का सबसे अहम और खूबसूरत कॉमप्लिमेंट था।

बच्चों, एक दिन आप बड़े हो जाओगे और इस समाज के एक अहम सदस्य बनोगे। तुम्हारे ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां होंगी। क्या मैं आपसे यह उम्मीद कर सकता हूं कि बड़े होकर आप अपने हर दिन का कुछ समय सेवा के काम में लगाओगे और जिस किसी की जिंदगी में बदलाव लाने की कोशिश करोगे, उससे बदले में कुछ भी अपेक्षा नहीं रखोगे। हम सभी को ईश्वर ने बनाया है और इस दुनिया में घटने वाली हर घटना पर उसका नियंत्रण है।

वह दिखाई नहीं देता, लेकिन आपके और हमारे जैसे लोगों के जरिये ही वह अपना काम करता है। जब आप कोई काम बिना कोई अपेक्षा रखे करते हैं, सिर्फ दूसरों के चेहरे पर हंसी लाने के लिए करते हैं तो आपको महसूस होता है कि वह काम आप नहीं कर रहे हैं, साक्षात ईश्वर आपके हाथों को जरिया बनाकर वह काम कर रहा है।

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