Quantcast
Channel: जस्ट जिंदगी : संडे एनबीटी, Sunday NBT | NavBharat Times विचार मंच
Viewing all articles
Browse latest Browse all 485

कोरोना: जांच का फंडा

$
0
0

लोकेश के. भारती
यहां इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि अगर किसी शख्स में फ्लू के लक्षण (खांसी, बुखार, नाक बहना और सांस लेने की परेशानी) हैं तो भी जरूरी नहीं कि उसका कोरोना टेस्ट हो। कोरोना टेस्ट के लिए डॉक्टर उस शख्स की हिस्ट्री (कहीं वह विदेश से तो नहीं आया, क्या वह कभी ऐसे शख्स के संपर्क में आया है जो कोरोना पॉजिटिव निकला हो, क्या वह उन जगहों को भी घूमा है या उसके साथ काम करने वाला शख्स कोरोना पॉजिटिव निकला हो आदि चीजें) देखता है। इन सभी बातों को जानने के बाद ही उसे कोरोना टेस्ट के लिए कहा जाता है।

1. एंटीबॉडी या रैपिड टेस्ट
जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि इसकी रिपोर्ट जल्दी आती है। साइंटिफिक कमिटी, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के चेयरमैन डॉ. नरेंद्र सैनी कहते हैं कि इस टेस्ट के लिए ब्लड लिया जाता है। टेस्ट की पूरी प्रक्रिया में बमुश्किल 15 से 20 मिनट लगते हैं, जबकि रिपोर्ट आने में 4 से 5 घंटे। इसे हम शुरुआती टेस्ट कह सकते हैं। इससे यह पता चलता है कि शरीर में जो इन्फेक्शन हुआ है, वह नया है या पुराना। अगर इस टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो इसका मतलब है कि उस शख्स में इंफेक्शन नया है। यह इंफेक्शन कोरोना का ही है या फिर किसी दूसरी बीमारी का, इसके लिए RT-PCR टेस्ट किया जाता है। कोरोना टेस्ट के लिए यही टेस्ट सबसे खास माना जाता है।

2. RT-PCR या मॉलिक्युलर टेस्ट
इस टेस्ट को करने में 4 से 5 घंटे का वक्त लगता है और रिपोर्ट आने में कम-से-कम 24 घंटे लग सकते हैं। इसे सीधे इस तरह समझ सकते हैं कि इसमें वायरस के जीन की स्टडी की जाती है कि जो जीन है, वह कोरोना का ही है या किसी और वायरस का। इस टेस्ट में नीचे लिखे तरीकों में से कोई भी अपनाया जा सकता है:

स्वाब टेस्ट
इसमें गले या नाक के अंदर से स्वाब (रुई या फाहा) पर श्वास नली से लिक्विड या लार का सैंपल लिया जाता है।

नेजल एस्पिरेट
नाक में एक सलूशन डालने के बाद सैंपल लेकर जांच की जाती है।

ट्रेशल एस्पिरेट

एक पतली ट्यूब ब्रोंकोस्कोप को फेफड़ों में डालकर वहां से सैंपल लेकर जांच की जाती है। यह टेस्ट अमूमन उन लोगों पर किया जाता है जो आईसीयू में भर्ती होते हैं।

सप्टम टेस्ट
इसमें फेफड़े में जमा मटीरियल लेकर टेस्ट किया जाता है। कोरोना टेस्ट का यह तरीका भी अच्छा है।

जब टेस्ट आ जाए पॉजिटिव
अगर किसी शख्स का टेस्ट कोरोना पॉजिटिव आता है, खासकर RT-PCR तो फिर उसे अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज किया जाता है। इलाज 14 दिन से 1 महीना तक चल सकता है। इलाज के दौरान मरीज में लक्षणों (सुखी खांसी, बुखार और सांस लेने में परेशानी) के आधार पर फिर-से टेस्ट किया जाता है। जब तक जांच पॉजिटिव आती है, इलाज और टेस्ट जारी रहता है। साउथ दिल्ली, आईएमए के प्रेज़िडंट डॉ. संदीप शर्मा कहते हैं कि अगर पहला टेस्ट पॉजिटिव आ जाए तो दूसरा टेस्ट करने में वैसे तो 24 घंटे का गैप ही काफी है, लेकिन यह टेस्ट महंगा है और भीड़ भी अभी ज्यादा है इसलिए इसे 48 या 72 घंटे यानी 2-3 दिन बाद ही किया जाता है। अगर यह भी पॉजिटिव आया तो फिर से 2-3 दिन बाद तीसरा टेस्ट किया जाता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि मरीज को अस्पताल से घर भेजने से पहले कम-से-कम 2 टेस्ट नेगेटिव जरूर होने चाहिए।

जब टेस्ट आ जाए नेगेटिव
अगर पहला टेस्ट नेगेटिव आए तो फिर दूसरा टेस्ट कम-से-कम 24 घंटे बाद किया जाता है। दूसरा भी नेगेटिव आ जाए तो मरीज को घर भेज दिया जाता है और यह भी हिदायत दी जाती है कि कम-से-कम 14 दिन सेल्फ क्वारंटीन में रहना होगा।
- यानी घर में मास्क लगाकर रहना होगा।
- अलग बाथरूम इस्तेमाल करना होगा।
- घर में मौजूद सदस्यों का कोई सामान शेयर नहीं करना होगा।
- अगर इन 14 दिनों तक सब ठीक रहा, मरीज में कोई भी लक्षण नहीं दिखा तो सबकुछ सामान्य माना जाता है।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 485

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>