एक्सपर्ट्स पैनल
डॉ. अनूप मिश्रा, डायरेक्टर, फोर्टिस सी डॉक हॉस्पिटल डॉ. के. के. अग्रवाल, प्रेजिडेंट, हार्ट केयर फाउंडेशन डॉ. संजीव बगई, डायरेक्टर, मनिपाल हॉस्पिटल डॉ. तरुण मित्तल, ओबेसिटी सर्जन, सर गंगाराम हॉस्पिटल सीमा गुलाटी, न्यूट्रिशन रिसर्च हेड, डायबीटीज फाउंडेशन ऑफ इंडिया
बच्चों में मोटापा आमतौर पर दो तरह का होता है : 1. जन्मजात मोटापे की वजह फैमिली हिस्ट्री, जेनेटिक गड़बड़ी (एडिसंस डिसीज़ या ब्रिडर विली सिंड्रोम) या हॉर्मोनल (हाइपोथायरॉइड) बीमारी हो सकती हैं। इसके लिए इलाज की जरूरत पड़ती है। 2. किशोरावस्था (13 साल की उम्र से शुरू) का मोटापा आमतौर पर लाइफस्टाइल आधारित होता है। जंक और फास्ट खाना और फिजिकली एक्टिव न रहना इसकी बड़ी वजहें हैं। लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव से इसे पूरी तरह दूर कर सकते हैं।
बच्चा मोटा है, कैसे जानें
- बच्चा देखने में मोटू दिखता है और उसकी तोंद निकली है। - ज्यादा खाने के बावजूद थकान और कमजोरी की शिकायत करता है।
लक्षण और असर
- बहुत जल्दी थकना - खर्राटे लेना - कब्ज रहना - नींद कम आना - ब्लड प्रेशर, डायबीटीज की आशंका - लड़कियों में पीसीओडी (पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़), पीरियड्स में गड़बड़ी, चेहरे पर बाल जैसी समस्याएं
सचेत होना जरूरी
- जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान शुगर होती है, उनके बच्चों के मोटा होने के चांस ज्यादा होते हैं। - जो बच्चे बचपन में मोटे होते हैं, उनमें से 70-80 फीसदी तक के आगे जाकर भी ओवरवेट या मोटे होने की आशंका ज्यादा होती है।
कैसे करते हैं जांच
बच्चों का वजन पर्सेंटाइल में मेजर करते हैं। यहां पर पर्सेंटाइल का मतलब बच्चों के वजन को नापने का वह पैमाना है जिस पर बाकी देश में उसी उम्र के बच्चों के नापा जाता है। वैसे तो यह चार्ट डॉक्टरों के पास होता है। पर्सेटाइल के गणित और आपका बच्चा कहीं मोटा तो नहीं, इसको आप goo.gl/9XIDUq पर जाकर चेक कर सकते हैं। इससे ज्यादा सटीक हाइट और वजन के अनुपात का पता लगता है। अगर कन्फ्यूजन हो तो बीएमआई के मुताबिक भी मोटापा जान सकते हैं।
85 से 90 पर्सेंटाइल : नॉर्मल 90 से 95 पर्सेंटाइल : ओवरवेट 95 से ज्यादा पर्सेंटाइल : मोटापा
ऐसे निकालें बीएमआई
वजन (किलो में)/ हाइट (मीटर में)2 उदाहरण अगर आपकी हाइट 1.5 मीटर है और आपका वजन 55 किलो है तो आपका बीएमआई होगा 22.89 जोकि नॉर्मल है। बच्चों का सटीक बीएमआई नापने के लिए Child BMI Calculator नाम का ऐप एंड्रॉयड से फ्री डाउनलोड किया जा सकता है। इसमें जेंडर और उम्र के हिसाब से बीएमआई निकाला जा सकता है।
एक समस्या यह भी
टीनएज में जहां कुछ बच्चों में मोटापे का खतरा होता है, वहीं कुछ लड़कियों पर फिगर मेंटेन करने की सनक सवार हो जाती है। बेहद दुबली-पतली होने के बावजूद उन्हें खुद के मोटे होने की गलतफहमी होती है और वे खाना बेहद कम कर देती हैं। अगर बीएमआई 18 से कम है तो शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते। इससे शारीरिक और मानसिक दिक्कत हो सकती हैं। जैसे कि कमजोरी, ध्यान न लगना, याद न रहना, नींद न आना, सिरदर्द आदि। ऐसे में लड़कियों को काउंसलिंग की जरूरत होती है। बेहतर है फिगर के चक्कर में न पड़कर नॉर्मल वजन मेंटेन करना।
एक दूसरी अति
टीनएज में जहां कुछ बच्चों में मोटापे का खतरा होता है, वहीं कुछ लड़कियों पर फिगर मेंटेन करने की सनक सवार हो जाती है। बेहद दुबली-पतली होने के बावजूद उन्हें खुद के मोटे होने की गलतफहमी होती है और वे खाना बेहद कम कर देती हैं। अगर बीएमआई 18 से कम है तो शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते। इससे शारीरिक और मानसिक दिक्कत हो सकती हैं जैसे कि कमजोरी, ध्यान न लगना, याद न रहना, नींद न आना, सिरदर्द आदि। ऐसे में लड़कियों को काउंसलिंग की जरूरत होती है। बेहतर है फिगर के चक्कर में न पड़कर नॉर्मल वजन मेंटेन करना।
क्या करें कि मोटापा न हो
- सफेद चीजें जैसे कि चीनी, चावल, मैदा, मियोनीज़, चीज़ आदि पर कंट्रोल रखें। - मिठाई से दोस्ती अच्छी नहीं। इसमें 30-50 फीसदी तक शुगर होती है। - तला-भुला और फास्ट फूड बेहद कम करें। कोल्ड ड्रिंक्स को कहें ना। देना ही है तो पानी मिलाकर दें। - पित्जा, बर्गर, नूडल्स, फ्रेंच फ्राइज़, चिप्स से प्यार खत्म करें। ऐसी चीजें कभी-कभार ईनाम के रूप में दें। - हरी सब्जियों, फल और दूध से दोस्ती करें। बीन्स, नट्स, भुने चने, एग वाइट, फिश आदि हाई प्रोटीन डाइट अच्छी है। - हर मीठे खाने के साथ कड़वा (करेला, मेथी, पालक आदि) शामिल करें। कड़वी चीजें इंसुलिन प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं। - रोजाना 500 से 700 मिली तक दूध दे सकते हैं। कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि बच्चों को 14-15 साल तक फुल क्रीम मिल्क देना चाहिए तो कुछ का मानना है कि 4-5 साल के बाद टोंड मिल्क देना बेहतर है। - दूध में बॉर्नविटा, हॉर्लिक्स आदि मिला सकते हैं। इनमें वे माइक्रोन्यूट्रिएंट होते हैं, जो अक्सर डाइट से पूरे नहीं हो पाते। कई बच्चे देखने में मोटे लगते हैं, लेकिन उनमें न्यूट्रिशन कम होते हैं। दूध को उबालने या बार-बार गर्म करने से भी उसके विटामिन कम हो जाते हैं। ऐसे में ये चीजें उसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू बढ़ा सकती हैं। नोट : बच्चों के खाने का 40 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 40 फीसदी प्रोटीन और 20 फीसदी फैट से आता है।
डाइट में बनें क्रिएटिव
- बच्चे की डाइट में रोजाना 2 फल और सब्जियां शामिल करें। - खाने को कलरफुल बनाएं। बच्चों को कलर काफी पसंद आते हैं। - रंगबिरंगी सब्जियां बनाएं। सॉस, जैम आदि से खाने में कलर व टेस्ट डालें। - खाने में तरह-तरह के हल्के फ्लेवर डालें। - फ्रूट स्मूदी बनाएं। दही और फल, दोनों सेहत के लिए अच्छे हैं। - पावभाजी में खूब सारी सब्जियां (आलू नहीं) डालें। पाव के बजाय ब्राउन ब्रेड दें। - गोभी-गाजर भरकर स्टफ्ड रोटियां बनाएं। - पालक-मेथी के परांठें हल्का तेल (कनोला, सरसों, ऑलिव या राइस ब्रैन) लगाकर बनाएं। - स्प्राउट्स में कॉर्न और थोड़ा पनीर डालकर सलाद व चाट बनाएं।
किसका ऑप्शन क्या
पित्जा - होममेड पित्जा (ढेर सारी सब्जियों और कम चीज़ के साथ) मैगी/नूडल्स - आटा मैगी/नूडल्स खूब सारी सब्जियों के साथ चिप्स - शकरकंद की चाट/फ्रूट चाट/ भुने चने/भुने नट्स कोल्ड ड्रिंक - छाछ/जूस/नारियल पानी बर्गर - होममेड बर्गर (वीट यानी गेहूं के बन में खूब सारी सब्जियों की स्टफिंग से) पकौड़े - दाल चीला मिठाई - फ्रूट कस्टर्ड या खूब सारे नट्स डालकर दूध में बनाया गाजर का हलवा चीज़ स्लाइस - घर में बना पनीर मियोनीज - घर पर बनी टॉमैटो प्यूरी
खूब खाएं कम खाएं न खाएं
फल नट्स मिठाइयां सब्जियां दूध और दूध से बनी चीजें बेकरी आइटम्स (केक, बिस्किट आदि) साबुत अनाज (गेहूं, दलिया, रागी, जई आदि) चावल मैदा, सूजी दालें बेसन पैक्ड फूड और फास्ट फूड (पित्जा, बर्गर, नूडल्स आदि) छाछ/ नारियल पानी मीठा नीबू पानी कोल्ड ड्रिंक
बीच का फॉर्म्युला
बच्चों को फास्ट फूड या मिठाई आदि से पूरी तरह पाबंदी लगाना सही नहीं है। वे खुद को रोक नहीं पाएंगे। ऐसे में बेहतर है कि हफ्ते में 1-2 मील उनकी पसंद का खाना की छूट हो। मसलन हफ्ते के 21 मील में से 19 हेल्दी और 2 उनकी पसंद का खाने की छूट हो। सेटरडे और संडे का लंच इसके लिए चुन सकते हैं।
एक्टिव रहें, फिट रहें
- स्क्रीन टाइम कट करें। टीवी, मोबाइल, टैब, लेपटॉप सभी को मिलाकर रोजाना दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन से न चिपकें। - काउच पोटैटो न बनें, यानी सोफा या बेड पर पड़े न रहें। एक्टिव रहें। मसलन, दरवाजा खोलें। डॉगी को घुमाने ले जाएं। - मेड या मम्मा से चीजें मंगाने और काम बोलने के बजाय खुद उठकर जाएं। पानी खुद लें। बेड लगाएं। - रोजाना कम-से-कम एक घंटा पार्क में जाकर जरूर खेलें। इनमें बैडमिंटन, फुटबॉल, क्रिकेट जैसे गेम खेलें। - एयरोबिक्स, रस्सी कूदना, स्वीमिंग, साइकलिंग, डांस आदि को अपने शेड्यूल में शामिल करें। - स्कूल में इंटरवल के आधे घंटे में खेलें। एक्टिव रहने और गेम्स खेलने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। नोट : मां को यह देखना होगा कि बच्चा कौन-सा गेम या डांस पसंद करता है। उसकी पसंद का ख्याल रखें। तभी वह बाहर जाने में दिलचस्पी दिखाएगा।
वजन बढ़ जाए तो क्या करें
- 10 फीसदी वजन कम करने का टारगेट सेट करें। ज्यादा बड़ा गोल होगा तो पूरा करना मुश्किल होगा। हालांकि कब और कितना वजन घटाना है, यह हर बच्चे के लिए अलग हो सकता है। - धीरे-धीरे घटाएं। महीने में दो किलो से ज्यादा वजन कम करने का टारगेट न रखें। वजन बढ़ता तेजी से है, लेकिन घटाने में वक्त लगता है, सो धीरज रखें। - दोस्तों को बताएं कि आप डाइट कंट्रोल पर हैं और वे आपको फालतू खाने के लिए ऑफर न करें। - कैंटीन में खाने के बजाय स्कूल में घर से हेल्दी खाना लेकर जाएं। - आमतौर पर बच्चों को जिम की सलाह नहीं दी जाती। वजन उठाने की एक्सरसाइज को लेकर ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि नियमित रूप से वेट लिफ्टिंग करने से हाइट कम रह सकती है। नोट : बच्चों को डाइटिंग नहीं करनी चाहिए। इससे उनकी ग्रोथ पर असर पड़ता है। बेहतर और सही डाइट और एक्सरसाइज व फिजिकल एक्टिविटी से वजन घटाएं। अगर बच्चे का वजन ज्यादा (नॉर्मल वजन से 15 किलो या ज्यादा) है तो एक्सपर्ट की सलाह लें।
टॉप गलतियां
1. गोलू-मोलू स्वीट बच्चा : छोटे बच्चों में अक्सर गोलू-मोलू बच्चे को लोग दुलारते हैं। मांएं भी अक्सर बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए अडिशनल डाइट्री सप्लिमेंट देती हैं। लेकिन बचपन का गोलू-मोलू अक्सर आगे जाकर मोटू में तब्दील हो जाता है। 2. मेरा बच्चा मोटा नहीं है : हमारे यहां मांएं अपने बच्चे को मोटा मानने को तैयार नहीं होतीं। उन्हें लगता है ऐसा कहने से बच्चे को नजर लग जाएगी। लेकिन यह फिजूल है। 3. कुछ तो खा ले : अक्सर मांएं प्यार में बच्चों को उसकी पसंद के चलते कुछ भी खिलाती हैं। उन्हें लगता है कि कुछ नहीं खा रहा, सो जो पसंद हैं, वही खा ले। इससे बच्चे को हेल्दी खाने की आदत नहीं बन पाती। 4. ज्यादा खाना जरूरी : अक्सर लोग मानते हैं कि बच्चे के हेल्दी रहने के लिए ज्यादा खाना जरूरी है। यह गलत है। इसके मुकाबले सही खाना ज्यादा जरूरी है। 5. ब्रेकफास्ट नहीं कराना : बच्चे अक्सर स्कूल के लिए दूध पीकर चले जाते हैं। ब्रेकफास्ट नहीं करते, जबकि यह सबसे जरूरी मील है। बाद में लंच तक बहुत भूख लगने पर उलटा-सीधा या ज्यादा खा लेते हैं। 6. नेट सर्फ करते हुए या टीवी देखते हुए खाना : नेट सर्फिंग, चैटिंग और टीवी देखते हुए अक्सर बच्चे चिप्स, बिस्किट जैसी चीजें खाते रहते हैं, जो वजन बढ़ने की बड़ी वजह बन जाता है। 7. देर रात तक खाना : देर रात में पढ़ाई करते हुए भी बच्चे कुछ-न-कुछ खाते-पीते रहते हैं। यह सही नहीं है। रात को खाना 8 बजे तक खा लें। बाद में भूख लगे तो फल-सलाद या दूध आदि पिएं।
कितना प्यारा है, गोलू-मोलू सा... छोटे गोलू बच्चों को देखकर अक्सर लोग यही कहते हैं। यही गोलू बच्चे जब थोड़े बड़े हो जाते हैं तो उन्हें मोटू कहकर चिढ़ानेवाले भी कम नहीं होते। मांएं अक्सर प्यार में अपने लाडले या लाडली को मोटा मानने को तैयार नहीं होतीं और प्रॉब्लम बढ़ जाती है। फास्ट फूड के इस दौर में बच्चों में मोटापा बड़ी समस्या बन रहा है। इसी मसले पर एक्सपर्ट्स से बात करके पूरी जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह :