किसी ने सही कहा है कि अगर किसी की फैशन की समझ जाननी हो तो उसके जूतों को देखो। जैसे सही वक्त पर सही बात करना जरूरी है, ठीक वैसे ही किसी भी ड्रेस के साथ सही वक्त पर सही जूते पहनना भी जरूरी है। एक्सपर्ट्स के सहारे आपके लिए हम लेकर आए हैं जूतों की पाठशाला...
कितने तरह के जूते
मूल रूप से जूतों को 3 कैटगिरी में बांटा जा सकता है:
1. फॉर्मल शूज़
इन जूतों में बेहतर क्वॉलिटी का लेदर इस्तेमाल होता है और इनकी पहचान इनकी चमकदार नोक होती है। इसमें शामिल हैं:
ऑक्सफर्ड: सूट के साथ पहने जाने वाले इन जूतों को फीतों के जरिए पंजों पर कसा जाता है। इनमें फीते 5-6 छेदों से होकर गुजरते हैं। जूते की नोक पर अलग से चमड़ा लगा होता है, जिसे ‘टो कैप’ कहते हैं।
डर्बी: लुक्स के मामले में तो ये ऑक्सफोर्ड की तरह ही हैं लेकिन इनमें फीते सिर्फ 2 जोड़ी छेदों से होकर भी गुजरते हैं। ये ऑक्सफर्ड के मुकाबले कुछ कम फॉर्मल होते हैं और पैंट-शर्ट पर बिना कोट के टाई पहनते वक्त पहने जा सकते हैं।
ब्रॉग: इन जूतों को खास बनाता है इनकी नोंक पर लगा छेद वाला डिजाइनदार पैच। इन जूतों में एक कलर या अलग-अलग तरह के टेक्स्चर और कलर वाले ऑप्शन भी आते हैं। ये डर्बी से कम फॉर्मल होते हैं और पार्टी में पहने जाते हैं।
मॉन्क: इन जूतों में फीते नहीं होते। एक स्ट्रैप राइट से लेफ्ट की तरफ बंद होता है। इसकी नोक नुकीली होती है और ये सूट के साथ पहने जाते हैं।
लॉफर्स: इन्हें स्लिप ऑन भी कहते हैं। ऐसा कहने का कारण है फीते न होने की वजह से इन्हें फटाफट पहनने और उतारने की आजादी। इनके ऊपर की तरफ डिजाइन के लिए बूटियां लगी रहती हैं। इसे चीनोज़ (कॉटन कैजुअल पैंट) या सेमी फॉर्मल पैंट के साथ पहना जाता है।
2. कैज़ुअल शूज़
स्नीकर: लेदर या दूसरे फैब्रिक से बने इन जूतों की नोंक कुछ छोटी होती है और फीते 6-7 छेदों से होकर गुजरते हैं। इन्हें चीनोज़, शॉर्ट्स और जींस के साथ पहना जा सकता है। ये लेदर और कपड़े, दोनों ऑप्शन में आते हैं। इसी कैटगिरी में स्लिप-ऑन स्नीकर भी आते हैं, जिनमें फीते नहीं होते और जो ज्यादा रंगबिरंगे होते हैं। इन्हें भी जींस या शॉर्ट्स के साथ ही पहनते हैं।
बोट: जैसा कि इनके नाम से ही पता चल रहा है कि इनकी शक्लो-सूरत नाव से मिलती-जुलती है। ये लेदर और कपड़े, दोनों ही ऑप्शन में आते हैं और बिना मोज़े के पहने जाते हैं। कैजुअल पैंट्स और शॉर्ट्स के साथ इन्हें पहना जाता है।
एस्पाड्रिल्स: ये कपड़े के होते हैं और इनमें फीते नहीं होते। इन्हें गर्मियों में शॉर्ट्स के साथ पहना जाता है।
बूट: रफ-टफ लुक्स और हाइकिंग या ट्रेकिंग जैसी ऐक्टिविटी के लिए बूट्स काफी मुफीद होते हैं। अमूमन ये ऐसे लेदर के बने होते हैं जिन पर पानी, धूल-मिट्टी और खरोचों का असर नहीं पड़ता। अपनी बनावट और स्टाइल के हिसाब से बूट्स में चुक्का, चेलसी, काऊबॉय, रशियन जैसे बूट आते हैं।
बूट्स को ज्यादातर जींस के साथ ही पहना जाता है। ड्रेस बूट्स और फैशन बूट्स जरूर फॉर्मल कपड़ों के साथ पहने जाते हैं।
लेडीज़ में भी बूट्स काफी पॉपुलर हैं। लेडीज़ में एंकल बूट, नी हाई, काऊबॉय, ग्लेडिएटर और चेलसी बूट्स काफी पॉप्युलर हैं।
3. स्पोर्ट्स
वैसे तो हर खेल के हिसाब से जूते पहने जाते हैं लेकिन फिर भी अमूमन 2 तरह के स्पोर्ट्स शूज़ ही ज्यादा पहने जाते हैं:
1. रनिंग शूज़: इन जूतों को भागने-दौड़ने के लिए डिजाइन किया जाता है। इन्हें डिजाइन करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जूते का सोल लचीला और मुलायम हो। चूंकि ये जूते पैदल चलने में काफी आराम देते हैं इसलिए रोजमर्रा में भी इसे पहनना अच्छा रहता है। इन्हें जींस, स्पोर्ट्स ट्राउज़र्स और शॉर्ट्स के साथ पहना जाता है। किसी भी तरह की पैंट के साथ इन्हें न पहनें।
2. ट्रेनिंग शूज़: देखने में भले ही ये रनिंग शूज़ की तरह लगें लेकिन इन्हें जिम में रनिंग के अलावा दूसरी ऐक्टिविटी के लिए बनाया गया है। जहां रनिंग शूज़ को आगे-पीछे के मूवमेंट के लिहाज से डिजाइन किया जाता है, वहीं ट्रेनिंग शूज़ को चौतरफा मूवमेंट के लिहाज से बनाया जाता है। इसका सोल कम लचीला और मुलायम होता है जिससे ये वेटलिफ्टिंग और तगड़ी फिजिकल ऐक्टिविटी को झेल सकें। रनिंग शूज़ में पंजे और एड़ी जमीन से कम छूती है, जबकि ट्रेनिंग शूज़ का सोल जमीन पर पूरी पकड़ देता है। इन्हें भी जींस, स्पोर्ट्स ट्राउजर्स और शॉर्ट्स के साथ पहना जाता है। किसी भी तरह की पैंट के साथ इन्हें न पहनें।
नोट: लेडीज़ के लिए भी स्पोर्ट्स शूज़ मार्केट में आते हैं जो कमोबेश जेनट्स स्पोर्ट्स शूज की तरह ही होते हैं।
महिलाओं के लिए शूज़
इन्हें भी कई कैटगिरी में बांटा जा सकता है लेकिन मूलरूप से ये 5 तरह के होते हैं:
हाई हील: जैसा कि नाम से ही पता चल जाता है, इन शूज़ की एड़ी ऊंची होती है। इनमें भी कई तरह की हील्स आती हैं जैसे किटेन, स्टैलेटो, प्रिज्म, पपी, स्पूल, वेज आदि। इनमें किटेन और स्टैलेटो अपने हील साइज की वजह से ज्यादा खास हैं। किटेन हील की ऊंचाई ज्यादा-से-ज्यादा 2 इंच या 5 सेमी होती है जबकि स्टैलेटो 2 से शुरू होकर 4 इंच तक जाती है। ये ज्यादातर फॉर्मल मौकों पर ही पहने जाते हैं।
म्यूलेस: इन जूतों में खासियत है कि ये पीछे से कवर नहीं होते। इन्हें आप बैकलेस शूज़ भी कह सकते हैं। अपने जमाने में इन्हें मशहूर हॉलिवुड स्टार मार्लिन मुनरो ने काफी पॉपुलर बनाया था। इन्हें ज्यादातर स्कर्ट्स के साथ पहना जाता है।
स्लिंगबैक्स: ये जूते हील्स के ऊपर एक स्ट्रैप के जरिए पैरों को पीछे की ओर से बांधे रखते हैं। इन्हें स्कर्ट और कैप्री के साथ-साथ जींस और फॉर्मल पैंट्स के साथ भी पहना जा सकता है।
बैलेरिना या बैलीज़: ये आगे से ढके और बहुत कम हील्स वाली होती हैं। ये आगे से खुली और बंद, दोनों ही स्टाइल में आती हैं। इन्हें कैजुअल और फॉर्मल दोनों की मौकों पर पहना जाता है। डिजाइन और मटीरियल के अनुसार इन्हें फॉर्मल या कैजुअल कैटिगरी में बांटा जाता है। मसलन कपड़े वाली बैलीज़ कैजुअल और लेदर या रैक्सीन वाली फॉर्मल होती हैं। इनमें हील और फ्लैट, दोनों ऑप्शन मिलते हैं।
कोर्ट शूज़ः इन्हें पंप शूज़ भी कहते हैं। इनका लुक आगे से बैलीज़ की तरह लगता है लेकिन इनकी हील्स इन्हें अलग बनाती हैं। 2 इंच या इससे ज्यादा की हील्स होने की वजह से ज्यादातर इन्हें फॉर्मल कपड़ों के साथ ही पहना जाता है।
फ्लैट्स, क्रॉक्स, कोल्हापुरी, रेन या बीच शूज़ भी काफी पॉप्युलर हैं।
साइज फिट तो जूते हिट
हम कितने भी अच्छे दिखने वाले या ड्रेस के साथ मैच करने वाले जूते खरीद लें लेकिन अगर उनका साइज परफेक्ट नहीं है तो मज़ा फीका हो जाता है। ऐसे में सही शू साइज जानना बहुत जरूरी है। यह जानने के लिए कुछ गणित लगाना पड़ेगा। आइए जानते हैंः
- एक पेपर पर अपना पैर रखें और उसके चारों और पेंसिल से आउटलाइन बनाएं।
- अब इस शेप को स्केल के जरिए चारों तरफ से सीधी लाइनों से ढकें।
- लंबी और छोटी, दोनों ही लाइनों को इंच के हिसाब से नोट करें।
- अब इनमें से 3/16 घटा लें। ऐसा करने का कारण है कि जो लाइनें हम अपने पैरों के शेप के आसपास खींचते हैं, उन्हें कम करना पड़ता है।
- अब जो नंबर आपको मिला है, वही आपका शू साइज है। सही साइज जानने के लिए इस टेबल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
महिलाओं के लिए साइज
- 4 = 20.8 सेमी (8.2 इंच)
- 4.5 = 21.3 सेमी (8.4 इंच)
- 5 = 21.6 सेमी (8.5 इंच)
- 5.5 = 22.2 सेमी (8.7 इंच)
- 6 = 22.5 सेमी (8.9 इंच)
- 6.5 = 23 सेमी (9.1 इंच)
- 7= 23.5 सेमी (9.3 इंच)
- 7.5 = 23.8 सेमी (9.4 इंच)
- 8 = 24.1 सेमी (9.5 इंच)
पुरुषों के लिए साइज
6 = 23.8 सेमी (9.4 इंच) in length
6.5 = 24.1 सेमी (9.5 इंच)
7 = 24.4 सेमी (9.6 इंच)
7.5 = 24.8 सेमी (9.8 इंच)
8 = 25.4 सेमी (10.0 इंच)
8.5 = 25.7 सेमी (10.1 इंच)
9= 26 सेमी (10.2 इंच)
9.5 = 26.7 सेमी (10.5 इंच)
10 = 27 सेमी (10.6 इंच)
10.5 = 27.3 सेमी (10.7 इंच)
11 = 27.9 सेमी (11.0 इंच)
11.5 = 28.3 सेमी (11.1 इंच)
12 = 28.6 सेमी (11.3 इंच)
इन बातों का भी रखें ध्यान
- जूते का साइज दोपहर के बाद नापें क्योंकि रात में रेस्ट करने की वजह से साइज में फर्क आ जाता है। जब हम कुछ घंटे चल लेते हैं तब साइज बढ़ जाता है।
- जब स्टोर में जूते खरीदने जाएं तो वैसे ही मोजे पहन कर जाएं जैसे अक्सर पहनते हैं। अगर पहन कर नहीं गए हैं तो स्टोर से ही मांग कर पहन लें।
- पैरों का साइज पूरी उम्र बदलता रहता है। बेहतर होगा हर बार खरीदने से पहले स्टोर में साइज चेक कर लें।
- अमूमन एक पैर दूसरे से कुछ बड़ा होता है। ऐसे में बड़े पैर के साइज के जूते खरीदें।
- पैर के अंगूठे और जूते की नोक में कम-से-कम आधा इंच का स्पेस होना चाहिए। अगर जूते की नोक के दबाने पर आपको अपनी कोई उंगली महसूस नहीं हो रही है तो इसका मतलब है कि साइज काफी ज्यादा है। अगर अंगूठा जूते से लगातार टकरा रहा है तो इसका मतलब है कि जूता टाइट है।
- जूते की लंबाई के अलावा इसकी चौड़ाई पर भी ध्यान दें। कई लोगों के पैर चौड़े होते हैं, ऐसे में साइज आधा इंच बढ़ा लें।
- खरीदने से पहले दोनों पैरों के जूते फीते कस कर पहनें और स्टोर में कम-से-कम 10 कदम चल कर देखें। पैर जहां पर मुड़ता है, वहां की फिटिंग जरूर देखें।
लेदर की पहचान
लेदर के जूते काफी खूबसूरत दिखते हैं लेकिन अब नकली लेदर के जूते भी मार्केट में आ चुके हैं। ये दिखते तो लेदर जैसे ही हैं लेकिन कुछ ही वक्त में दम तोड़ जाते हैं। आइए जानते हैं असली लेदर पहचाने के कुछ टिप्सः
- लेदर चूंकि नेचरल स्किन होती है, ऐसे में उस पर खरोच या रगड़ का निशान नहीं ठहरता। लेदर को खरोंचने या उसे नाखून से दबाने पर उस पर निशान नहीं बनते। अगर बनते भी हैं तो कुछ देर में गायब हो जाते हैं।
- असली लेदर का पता उसे सूंघ कर भी लगाया जा सकता है। जब आप असली लेदर को सूंघते हैं तो उसमें अजीब-सी बदबू आती है। हालांकि अब लेदर की महक वाले परफ्यूम भी आ रहे हैं, जिसके जरिए भी कस्टमर को बेवकूफ बनाया जा रहा है।
- जब आप लेदर की जैकेट, जूता या पर्स खरीदें तो आप उसकी सिलाई देखें और लेदर का पिछला हिस्सा देखें। असली लेदर का पिछला हिस्सा बहुत ही खुरदरा होता है और उसमें रेशे निकले होते हैं। इसकी पहचान आप सिलाई को पास से देखकर कर सकते हैं।
- अगर आप असली लेदर लेने की सोच रहे हैं तो इसकी सबसे सही पहचान है कि आप लेदर के छेद को ध्यान से देखें। लेदर में हमारी स्किन की तरह ही छेद होंगे जबकि नकली लेदर में ये सिर्फ टेक्स्चर ही होता है यानि सिर्फ डिजाइन बना होता है। ये छेद साफ-साफ बता देते हैं कि लेदर असली है या नहीं।
- असली लेदर में कभी भी ज्यादा फिनिशिंग नहीं होती। असली लेदर थोड़ा डल होता है और ज्यादा नहीं चमकता। असली चमड़े की फिनिशिंग दूसरे प्रोडक्ट्स के मुकाबले बहुत कम होती है।
- असली लेदर को जलाने की कोशिश करें। यह आसानी से जलता नहीं है और खूब देर तक जलाने की कोशिश करने पर इसमें अजीब-सी बदबू आती है। हालांकि ऐसा स्टोर पर करना मुमकिन नहीं होता।
- असली लेदर पर हमारे शरीर की तरह झुर्रियां होती हैं और लेदर को मोड़ने पर पड़े हुए निशान कुछ देर में ठीक हो जाते हैं जबकि नकली में ऐसा नहीं होता।
जूतों की सफाई
सफाई का सीधा फॉर्म्युला है: जैसे जूते वैसी सफाई। अगर जूते कपड़े के हैं तो उन्हें धो सकते हैं और अगर लेदर के हैं तो उन्हें पॉलिश कर सकते हैं। लेकिन किसी भी तरह के जूतों की सफाई करने से पहले जूतों के साथ मिले सफाई के निर्देश जरूर पढ़ें। कुछ जूतों को धोया जा सकता है और कुछ को नहीं।
ऐसे करें जूतों की धुलाई
- सबसे पहले जूतों के फीते और शू टंग (जूतों के अंदर सोल पर रखी जाने वाली पतली सी परत) को निकालें। जूतों के फीते अलग से साफ करें। इन्हें किसी ब्रश की मदद से भी साफ कर सकते हैं।
- जूतों में लगी धूल-मिटटी को साफ करें। अक्सर जूतों के साइड और तलवों में मिट्टी भर जाती है। इसे पुराने टूथब्रश की सहायता से अच्छी तरह साफ कर लें।
- अपने शूज़ को किसी पुराने तकिए के कवर में डालें और गांठ न लगाएं वरना जूते एक दूसरे-दूसरे से रगड़ने लगेंगे।
- पिलो कवर में बंद जूतों को वॉशिंग मशीन में डाल दें और साथ में दो पुराने तौलिए भी डाल दें। यह जूतों को डायरेक्ट रगड़ से बचाएंगे।
- मशीन में लिक्विड डिटर्जेंट और 4-5 बूंद विनेगर (सिरका) डालें और मशीन को धीमी स्पीड पर सेट करके ऑन करें।
- मशीन से निकालने के बाद जूतों को सूखने के लिए रख दें। जूतों को अच्छी तरह से सुखाने के बाद फीतों को वापस लगा दें।
अगर धोना हो हाथों से
- ब्रश की सहायता से जूतों पर लगी मिट्टी को साफ करें।
- जूतों के फीते और शू टंग को निकालकर पुराने टूथब्रश में जूतों के लिए आने वाले शैंपू को लगाकर जूतों को साफ करें। (शैंपू किस ब्रैंड का अच्छा और कितने रुपये में आता है)
- एक बर्तन में थोड़ा शैंपू का घोल बनाकर उसमें 5 मिनट तक जूते भिगोएं। फिर स्पॉन्ज या कपड़े से जूतों को हल्के हाथ से रगड़ें।
- जूतों को साफ करने के बाद अच्छी तरह से धोकर सुखा लें। जूतों को कभी भी सीधी धूप में न सुखाएं। इससे इनका कलर और टेक्स्चर खराब होने का डर रहता है।
लेदर के जूतों की देखभाल
सही पॉलिश चुनें: लिक्विड से लेदर शूज़ को नुकसान हो सकता है। लेदर शूज़ पर कभी भी लिक्विड-बेस पॉलिश का इस्तेमाल न करें। हमेशा वैक्स-बेस पॉलिश का इस्तेमाल करें।
पानी, धूल और नमी से बचाएः लेदर शूज़ को बारिश के दिनों में पहनकर निकलने या धूल-मिट्टी या गंदगी भरी जगहों पर जाने से बचें। अगर पहनना ही पड़े तो पानी से बचाने के लिए उन पर अलसी के तेल की कोटिंग कर सकते हैं। इससे पानी जूते के भीतर नहीं जाता।
रैक में रखें: लेदर शूज़ को हमेशा बंद शू-रैक के भीतर ही रखें जिससे उन पर धूल, नमी और सूरज की किरणें न पड़े। इससे शूज़ की चमक लंबे वक्त तक बरकरार रहती है।
शेप को बनाएं रखें: लेदर शूज़ की बनावट बहुत जल्दी बदल जाती है। पहनने के बाद जूतों को किसी बॉक्स में रखें और शू-ट्री का इस्तेमाल करें। शू-ट्री पैर के पंजे की तरह होता है जिससे जूते की शेप बनी रहती है। इसे मार्केट से खरीदा जा सकता है। यह 200-250 रुपये में मिल जाता है। अगर आप शू-ट्री का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो एक सॉफ्ट पेपर को कोनिकल शेप में रोल करके इसे जूतों के भीतर भर सकते हैं।
इन्हें भी आजमाएं
- अगर लेदर के जूते में बदबू आ रही है तो रात की बची बासी रोटी को जूते पर रगड़िए। इसके अलावा टी-बैग से जूतों को रगड़ें। इससे जूतों में आने वाली बदबू गायब हो जाएगी।
- वाइट सोल के जूतों को आप नेल पॉलिश रिमूवर से साफ कर सकते है।
- लेदर के जूते पर किसी निशान को दूर करने के लिए पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल करें।
- लेदर के जूते से पानी के दागों को हटाने के लिए पुराने टूथब्रश को सिरके में भिगो कर हल्के हाथ से सफाई करें।
- पैरों को ज्यादा आराम देने के लिए डॉक्टर सोल और जेल पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह जूते के भीतर कुशन की एक परत बना देता है जिससे पैरों पर लगने वाला झटका काफी कम हो जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ये अच्छी कंपनी के हों।
- जूता काटने पर टेलकम पाउडर या आरारोट डाल सकते हैं।
कितने तरह के जूते
मूल रूप से जूतों को 3 कैटगिरी में बांटा जा सकता है:
1. फॉर्मल शूज़
इन जूतों में बेहतर क्वॉलिटी का लेदर इस्तेमाल होता है और इनकी पहचान इनकी चमकदार नोक होती है। इसमें शामिल हैं:
ऑक्सफर्ड: सूट के साथ पहने जाने वाले इन जूतों को फीतों के जरिए पंजों पर कसा जाता है। इनमें फीते 5-6 छेदों से होकर गुजरते हैं। जूते की नोक पर अलग से चमड़ा लगा होता है, जिसे ‘टो कैप’ कहते हैं।
डर्बी: लुक्स के मामले में तो ये ऑक्सफोर्ड की तरह ही हैं लेकिन इनमें फीते सिर्फ 2 जोड़ी छेदों से होकर भी गुजरते हैं। ये ऑक्सफर्ड के मुकाबले कुछ कम फॉर्मल होते हैं और पैंट-शर्ट पर बिना कोट के टाई पहनते वक्त पहने जा सकते हैं।
ब्रॉग: इन जूतों को खास बनाता है इनकी नोंक पर लगा छेद वाला डिजाइनदार पैच। इन जूतों में एक कलर या अलग-अलग तरह के टेक्स्चर और कलर वाले ऑप्शन भी आते हैं। ये डर्बी से कम फॉर्मल होते हैं और पार्टी में पहने जाते हैं।
मॉन्क: इन जूतों में फीते नहीं होते। एक स्ट्रैप राइट से लेफ्ट की तरफ बंद होता है। इसकी नोक नुकीली होती है और ये सूट के साथ पहने जाते हैं।
लॉफर्स: इन्हें स्लिप ऑन भी कहते हैं। ऐसा कहने का कारण है फीते न होने की वजह से इन्हें फटाफट पहनने और उतारने की आजादी। इनके ऊपर की तरफ डिजाइन के लिए बूटियां लगी रहती हैं। इसे चीनोज़ (कॉटन कैजुअल पैंट) या सेमी फॉर्मल पैंट के साथ पहना जाता है।
2. कैज़ुअल शूज़
स्नीकर: लेदर या दूसरे फैब्रिक से बने इन जूतों की नोंक कुछ छोटी होती है और फीते 6-7 छेदों से होकर गुजरते हैं। इन्हें चीनोज़, शॉर्ट्स और जींस के साथ पहना जा सकता है। ये लेदर और कपड़े, दोनों ऑप्शन में आते हैं। इसी कैटगिरी में स्लिप-ऑन स्नीकर भी आते हैं, जिनमें फीते नहीं होते और जो ज्यादा रंगबिरंगे होते हैं। इन्हें भी जींस या शॉर्ट्स के साथ ही पहनते हैं।
बोट: जैसा कि इनके नाम से ही पता चल रहा है कि इनकी शक्लो-सूरत नाव से मिलती-जुलती है। ये लेदर और कपड़े, दोनों ही ऑप्शन में आते हैं और बिना मोज़े के पहने जाते हैं। कैजुअल पैंट्स और शॉर्ट्स के साथ इन्हें पहना जाता है।
एस्पाड्रिल्स: ये कपड़े के होते हैं और इनमें फीते नहीं होते। इन्हें गर्मियों में शॉर्ट्स के साथ पहना जाता है।
बूट: रफ-टफ लुक्स और हाइकिंग या ट्रेकिंग जैसी ऐक्टिविटी के लिए बूट्स काफी मुफीद होते हैं। अमूमन ये ऐसे लेदर के बने होते हैं जिन पर पानी, धूल-मिट्टी और खरोचों का असर नहीं पड़ता। अपनी बनावट और स्टाइल के हिसाब से बूट्स में चुक्का, चेलसी, काऊबॉय, रशियन जैसे बूट आते हैं।
बूट्स को ज्यादातर जींस के साथ ही पहना जाता है। ड्रेस बूट्स और फैशन बूट्स जरूर फॉर्मल कपड़ों के साथ पहने जाते हैं।
लेडीज़ में भी बूट्स काफी पॉपुलर हैं। लेडीज़ में एंकल बूट, नी हाई, काऊबॉय, ग्लेडिएटर और चेलसी बूट्स काफी पॉप्युलर हैं।
3. स्पोर्ट्स
वैसे तो हर खेल के हिसाब से जूते पहने जाते हैं लेकिन फिर भी अमूमन 2 तरह के स्पोर्ट्स शूज़ ही ज्यादा पहने जाते हैं:
1. रनिंग शूज़: इन जूतों को भागने-दौड़ने के लिए डिजाइन किया जाता है। इन्हें डिजाइन करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जूते का सोल लचीला और मुलायम हो। चूंकि ये जूते पैदल चलने में काफी आराम देते हैं इसलिए रोजमर्रा में भी इसे पहनना अच्छा रहता है। इन्हें जींस, स्पोर्ट्स ट्राउज़र्स और शॉर्ट्स के साथ पहना जाता है। किसी भी तरह की पैंट के साथ इन्हें न पहनें।
2. ट्रेनिंग शूज़: देखने में भले ही ये रनिंग शूज़ की तरह लगें लेकिन इन्हें जिम में रनिंग के अलावा दूसरी ऐक्टिविटी के लिए बनाया गया है। जहां रनिंग शूज़ को आगे-पीछे के मूवमेंट के लिहाज से डिजाइन किया जाता है, वहीं ट्रेनिंग शूज़ को चौतरफा मूवमेंट के लिहाज से बनाया जाता है। इसका सोल कम लचीला और मुलायम होता है जिससे ये वेटलिफ्टिंग और तगड़ी फिजिकल ऐक्टिविटी को झेल सकें। रनिंग शूज़ में पंजे और एड़ी जमीन से कम छूती है, जबकि ट्रेनिंग शूज़ का सोल जमीन पर पूरी पकड़ देता है। इन्हें भी जींस, स्पोर्ट्स ट्राउजर्स और शॉर्ट्स के साथ पहना जाता है। किसी भी तरह की पैंट के साथ इन्हें न पहनें।
नोट: लेडीज़ के लिए भी स्पोर्ट्स शूज़ मार्केट में आते हैं जो कमोबेश जेनट्स स्पोर्ट्स शूज की तरह ही होते हैं।
महिलाओं के लिए शूज़
इन्हें भी कई कैटगिरी में बांटा जा सकता है लेकिन मूलरूप से ये 5 तरह के होते हैं:
हाई हील: जैसा कि नाम से ही पता चल जाता है, इन शूज़ की एड़ी ऊंची होती है। इनमें भी कई तरह की हील्स आती हैं जैसे किटेन, स्टैलेटो, प्रिज्म, पपी, स्पूल, वेज आदि। इनमें किटेन और स्टैलेटो अपने हील साइज की वजह से ज्यादा खास हैं। किटेन हील की ऊंचाई ज्यादा-से-ज्यादा 2 इंच या 5 सेमी होती है जबकि स्टैलेटो 2 से शुरू होकर 4 इंच तक जाती है। ये ज्यादातर फॉर्मल मौकों पर ही पहने जाते हैं।
म्यूलेस: इन जूतों में खासियत है कि ये पीछे से कवर नहीं होते। इन्हें आप बैकलेस शूज़ भी कह सकते हैं। अपने जमाने में इन्हें मशहूर हॉलिवुड स्टार मार्लिन मुनरो ने काफी पॉपुलर बनाया था। इन्हें ज्यादातर स्कर्ट्स के साथ पहना जाता है।
स्लिंगबैक्स: ये जूते हील्स के ऊपर एक स्ट्रैप के जरिए पैरों को पीछे की ओर से बांधे रखते हैं। इन्हें स्कर्ट और कैप्री के साथ-साथ जींस और फॉर्मल पैंट्स के साथ भी पहना जा सकता है।
बैलेरिना या बैलीज़: ये आगे से ढके और बहुत कम हील्स वाली होती हैं। ये आगे से खुली और बंद, दोनों ही स्टाइल में आती हैं। इन्हें कैजुअल और फॉर्मल दोनों की मौकों पर पहना जाता है। डिजाइन और मटीरियल के अनुसार इन्हें फॉर्मल या कैजुअल कैटिगरी में बांटा जाता है। मसलन कपड़े वाली बैलीज़ कैजुअल और लेदर या रैक्सीन वाली फॉर्मल होती हैं। इनमें हील और फ्लैट, दोनों ऑप्शन मिलते हैं।
कोर्ट शूज़ः इन्हें पंप शूज़ भी कहते हैं। इनका लुक आगे से बैलीज़ की तरह लगता है लेकिन इनकी हील्स इन्हें अलग बनाती हैं। 2 इंच या इससे ज्यादा की हील्स होने की वजह से ज्यादातर इन्हें फॉर्मल कपड़ों के साथ ही पहना जाता है।
फ्लैट्स, क्रॉक्स, कोल्हापुरी, रेन या बीच शूज़ भी काफी पॉप्युलर हैं।
साइज फिट तो जूते हिट
हम कितने भी अच्छे दिखने वाले या ड्रेस के साथ मैच करने वाले जूते खरीद लें लेकिन अगर उनका साइज परफेक्ट नहीं है तो मज़ा फीका हो जाता है। ऐसे में सही शू साइज जानना बहुत जरूरी है। यह जानने के लिए कुछ गणित लगाना पड़ेगा। आइए जानते हैंः
- एक पेपर पर अपना पैर रखें और उसके चारों और पेंसिल से आउटलाइन बनाएं।
- अब इस शेप को स्केल के जरिए चारों तरफ से सीधी लाइनों से ढकें।
- लंबी और छोटी, दोनों ही लाइनों को इंच के हिसाब से नोट करें।
- अब इनमें से 3/16 घटा लें। ऐसा करने का कारण है कि जो लाइनें हम अपने पैरों के शेप के आसपास खींचते हैं, उन्हें कम करना पड़ता है।
- अब जो नंबर आपको मिला है, वही आपका शू साइज है। सही साइज जानने के लिए इस टेबल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
महिलाओं के लिए साइज
- 4 = 20.8 सेमी (8.2 इंच)
- 4.5 = 21.3 सेमी (8.4 इंच)
- 5 = 21.6 सेमी (8.5 इंच)
- 5.5 = 22.2 सेमी (8.7 इंच)
- 6 = 22.5 सेमी (8.9 इंच)
- 6.5 = 23 सेमी (9.1 इंच)
- 7= 23.5 सेमी (9.3 इंच)
- 7.5 = 23.8 सेमी (9.4 इंच)
- 8 = 24.1 सेमी (9.5 इंच)
पुरुषों के लिए साइज
6 = 23.8 सेमी (9.4 इंच) in length
6.5 = 24.1 सेमी (9.5 इंच)
7 = 24.4 सेमी (9.6 इंच)
7.5 = 24.8 सेमी (9.8 इंच)
8 = 25.4 सेमी (10.0 इंच)
8.5 = 25.7 सेमी (10.1 इंच)
9= 26 सेमी (10.2 इंच)
9.5 = 26.7 सेमी (10.5 इंच)
10 = 27 सेमी (10.6 इंच)
10.5 = 27.3 सेमी (10.7 इंच)
11 = 27.9 सेमी (11.0 इंच)
11.5 = 28.3 सेमी (11.1 इंच)
12 = 28.6 सेमी (11.3 इंच)
इन बातों का भी रखें ध्यान
- जूते का साइज दोपहर के बाद नापें क्योंकि रात में रेस्ट करने की वजह से साइज में फर्क आ जाता है। जब हम कुछ घंटे चल लेते हैं तब साइज बढ़ जाता है।
- जब स्टोर में जूते खरीदने जाएं तो वैसे ही मोजे पहन कर जाएं जैसे अक्सर पहनते हैं। अगर पहन कर नहीं गए हैं तो स्टोर से ही मांग कर पहन लें।
- पैरों का साइज पूरी उम्र बदलता रहता है। बेहतर होगा हर बार खरीदने से पहले स्टोर में साइज चेक कर लें।
- अमूमन एक पैर दूसरे से कुछ बड़ा होता है। ऐसे में बड़े पैर के साइज के जूते खरीदें।
- पैर के अंगूठे और जूते की नोक में कम-से-कम आधा इंच का स्पेस होना चाहिए। अगर जूते की नोक के दबाने पर आपको अपनी कोई उंगली महसूस नहीं हो रही है तो इसका मतलब है कि साइज काफी ज्यादा है। अगर अंगूठा जूते से लगातार टकरा रहा है तो इसका मतलब है कि जूता टाइट है।
- जूते की लंबाई के अलावा इसकी चौड़ाई पर भी ध्यान दें। कई लोगों के पैर चौड़े होते हैं, ऐसे में साइज आधा इंच बढ़ा लें।
- खरीदने से पहले दोनों पैरों के जूते फीते कस कर पहनें और स्टोर में कम-से-कम 10 कदम चल कर देखें। पैर जहां पर मुड़ता है, वहां की फिटिंग जरूर देखें।
लेदर की पहचान
लेदर के जूते काफी खूबसूरत दिखते हैं लेकिन अब नकली लेदर के जूते भी मार्केट में आ चुके हैं। ये दिखते तो लेदर जैसे ही हैं लेकिन कुछ ही वक्त में दम तोड़ जाते हैं। आइए जानते हैं असली लेदर पहचाने के कुछ टिप्सः
- लेदर चूंकि नेचरल स्किन होती है, ऐसे में उस पर खरोच या रगड़ का निशान नहीं ठहरता। लेदर को खरोंचने या उसे नाखून से दबाने पर उस पर निशान नहीं बनते। अगर बनते भी हैं तो कुछ देर में गायब हो जाते हैं।
- असली लेदर का पता उसे सूंघ कर भी लगाया जा सकता है। जब आप असली लेदर को सूंघते हैं तो उसमें अजीब-सी बदबू आती है। हालांकि अब लेदर की महक वाले परफ्यूम भी आ रहे हैं, जिसके जरिए भी कस्टमर को बेवकूफ बनाया जा रहा है।
- जब आप लेदर की जैकेट, जूता या पर्स खरीदें तो आप उसकी सिलाई देखें और लेदर का पिछला हिस्सा देखें। असली लेदर का पिछला हिस्सा बहुत ही खुरदरा होता है और उसमें रेशे निकले होते हैं। इसकी पहचान आप सिलाई को पास से देखकर कर सकते हैं।
- अगर आप असली लेदर लेने की सोच रहे हैं तो इसकी सबसे सही पहचान है कि आप लेदर के छेद को ध्यान से देखें। लेदर में हमारी स्किन की तरह ही छेद होंगे जबकि नकली लेदर में ये सिर्फ टेक्स्चर ही होता है यानि सिर्फ डिजाइन बना होता है। ये छेद साफ-साफ बता देते हैं कि लेदर असली है या नहीं।
- असली लेदर में कभी भी ज्यादा फिनिशिंग नहीं होती। असली लेदर थोड़ा डल होता है और ज्यादा नहीं चमकता। असली चमड़े की फिनिशिंग दूसरे प्रोडक्ट्स के मुकाबले बहुत कम होती है।
- असली लेदर को जलाने की कोशिश करें। यह आसानी से जलता नहीं है और खूब देर तक जलाने की कोशिश करने पर इसमें अजीब-सी बदबू आती है। हालांकि ऐसा स्टोर पर करना मुमकिन नहीं होता।
- असली लेदर पर हमारे शरीर की तरह झुर्रियां होती हैं और लेदर को मोड़ने पर पड़े हुए निशान कुछ देर में ठीक हो जाते हैं जबकि नकली में ऐसा नहीं होता।
जूतों की सफाई
सफाई का सीधा फॉर्म्युला है: जैसे जूते वैसी सफाई। अगर जूते कपड़े के हैं तो उन्हें धो सकते हैं और अगर लेदर के हैं तो उन्हें पॉलिश कर सकते हैं। लेकिन किसी भी तरह के जूतों की सफाई करने से पहले जूतों के साथ मिले सफाई के निर्देश जरूर पढ़ें। कुछ जूतों को धोया जा सकता है और कुछ को नहीं।
ऐसे करें जूतों की धुलाई
- सबसे पहले जूतों के फीते और शू टंग (जूतों के अंदर सोल पर रखी जाने वाली पतली सी परत) को निकालें। जूतों के फीते अलग से साफ करें। इन्हें किसी ब्रश की मदद से भी साफ कर सकते हैं।
- जूतों में लगी धूल-मिटटी को साफ करें। अक्सर जूतों के साइड और तलवों में मिट्टी भर जाती है। इसे पुराने टूथब्रश की सहायता से अच्छी तरह साफ कर लें।
- अपने शूज़ को किसी पुराने तकिए के कवर में डालें और गांठ न लगाएं वरना जूते एक दूसरे-दूसरे से रगड़ने लगेंगे।
- पिलो कवर में बंद जूतों को वॉशिंग मशीन में डाल दें और साथ में दो पुराने तौलिए भी डाल दें। यह जूतों को डायरेक्ट रगड़ से बचाएंगे।
- मशीन में लिक्विड डिटर्जेंट और 4-5 बूंद विनेगर (सिरका) डालें और मशीन को धीमी स्पीड पर सेट करके ऑन करें।
- मशीन से निकालने के बाद जूतों को सूखने के लिए रख दें। जूतों को अच्छी तरह से सुखाने के बाद फीतों को वापस लगा दें।
अगर धोना हो हाथों से
- ब्रश की सहायता से जूतों पर लगी मिट्टी को साफ करें।
- जूतों के फीते और शू टंग को निकालकर पुराने टूथब्रश में जूतों के लिए आने वाले शैंपू को लगाकर जूतों को साफ करें। (शैंपू किस ब्रैंड का अच्छा और कितने रुपये में आता है)
- एक बर्तन में थोड़ा शैंपू का घोल बनाकर उसमें 5 मिनट तक जूते भिगोएं। फिर स्पॉन्ज या कपड़े से जूतों को हल्के हाथ से रगड़ें।
- जूतों को साफ करने के बाद अच्छी तरह से धोकर सुखा लें। जूतों को कभी भी सीधी धूप में न सुखाएं। इससे इनका कलर और टेक्स्चर खराब होने का डर रहता है।
लेदर के जूतों की देखभाल
सही पॉलिश चुनें: लिक्विड से लेदर शूज़ को नुकसान हो सकता है। लेदर शूज़ पर कभी भी लिक्विड-बेस पॉलिश का इस्तेमाल न करें। हमेशा वैक्स-बेस पॉलिश का इस्तेमाल करें।
पानी, धूल और नमी से बचाएः लेदर शूज़ को बारिश के दिनों में पहनकर निकलने या धूल-मिट्टी या गंदगी भरी जगहों पर जाने से बचें। अगर पहनना ही पड़े तो पानी से बचाने के लिए उन पर अलसी के तेल की कोटिंग कर सकते हैं। इससे पानी जूते के भीतर नहीं जाता।
रैक में रखें: लेदर शूज़ को हमेशा बंद शू-रैक के भीतर ही रखें जिससे उन पर धूल, नमी और सूरज की किरणें न पड़े। इससे शूज़ की चमक लंबे वक्त तक बरकरार रहती है।
शेप को बनाएं रखें: लेदर शूज़ की बनावट बहुत जल्दी बदल जाती है। पहनने के बाद जूतों को किसी बॉक्स में रखें और शू-ट्री का इस्तेमाल करें। शू-ट्री पैर के पंजे की तरह होता है जिससे जूते की शेप बनी रहती है। इसे मार्केट से खरीदा जा सकता है। यह 200-250 रुपये में मिल जाता है। अगर आप शू-ट्री का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो एक सॉफ्ट पेपर को कोनिकल शेप में रोल करके इसे जूतों के भीतर भर सकते हैं।
इन्हें भी आजमाएं
- अगर लेदर के जूते में बदबू आ रही है तो रात की बची बासी रोटी को जूते पर रगड़िए। इसके अलावा टी-बैग से जूतों को रगड़ें। इससे जूतों में आने वाली बदबू गायब हो जाएगी।
- वाइट सोल के जूतों को आप नेल पॉलिश रिमूवर से साफ कर सकते है।
- लेदर के जूते पर किसी निशान को दूर करने के लिए पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल करें।
- लेदर के जूते से पानी के दागों को हटाने के लिए पुराने टूथब्रश को सिरके में भिगो कर हल्के हाथ से सफाई करें।
- पैरों को ज्यादा आराम देने के लिए डॉक्टर सोल और जेल पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह जूते के भीतर कुशन की एक परत बना देता है जिससे पैरों पर लगने वाला झटका काफी कम हो जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ये अच्छी कंपनी के हों।
- जूता काटने पर टेलकम पाउडर या आरारोट डाल सकते हैं।
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