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मैंने योग में नया कुछ नहीं किया : रामदेव

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योग वैसे तो भारत में सदियों से है, लेकिन जिस इंसान ने योग को एक मूवमेंट में तब्दील कर दिया, वह हैं स्वामी रामदेव। अमित मिश्रा ने योग, अध्यात्म, बिजनेस और राजनीति जैसे कई मसलों पर बाबा रामदेव से बात की :

1. दुनिया में योग के तमाम तरीके हैं। हर योग एक्सपर्ट अपने योग के तरीके को बेहतर बताता है। आपका क्या कहना है? लोगों ने सैकड़ों साल पुरानी योग परंपरा को आगे बढ़ा कर उसे अपना नाम दे दिया। यह सरासर गलत है। योग किसी का नहीं हो सकता। जो लोग इसे किसी खास नाम से बेचना चाहते हैं, योग से उनके निजी स्वार्थ जुड़े हैं।

2. आप भी तो प्राचीन विद्या से जुड़ी बड़ी इंडस्ट्री चला रहे हैं। इस लिहाज से आपको भी उन्हीं लोगों के साथ रखा जा सकता है? मैंने कभी भी योग का अपने नाम से प्रचार नहीं किया, न कभी करूंगा। दुनिया में रामदेव योग नाम का कुछ भी नहीं है। जहां तक बात है पतंजलि योग संस्थान की तो उसने सबसे कम फायदे लेकर लोगों के बीच आयुर्वेदिक दवाओं और खाने-पीने की स्वदेशी चीजों को पहुंचाया है।

3. कभी अपने नाम से योग को पेटेंट नहीं कराएंगे? कभी नहीं कराऊंगा। रामदेव ने योग में कुछ नया नहीं किया है। मैं तो वही सिखा रहा हूं, जो हमारे ऋषि मुनियों ने हमें विरासत में दिया है।

4. यानी आपका योग के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं है? अगर योगदान की बात है तो मैं यह जरूर मानता हूं कि योग के आसनों और प्राणायाम को स्टैंडराइज्ड करने का काम मैंने जरूर किया है। कब, किसे, कितना करना चाहिए, इन बातों को मैंने अपने अनुभव से जांचा और अपनी लैब में साइंटिफिक जांच भी कराई। एक और बात के लिए मैं खुद को क्रेडिट देता हूं और वह यह कि जो
योग बड़े-बड़े स्टूडियो और महंगे योग एक्सपर्ट्स के चंगुल में था, मैंने उसे बाहर निकालकर आम लोगों तक पहुंचाया।

5. आप घर-घर के योग गुरु हैं, लेकिन आपका योग गुरु कौन है? हरियाणा के एक छोटे से गांव सैदअलीपुर में मेरा जन्म हुआ। वहां पर योग सिखाने के लिए स्वामी भीष्म नाम के एक महात्मा आया करते थे। वह करीब 100 साल के थे और 10-15 मिनट शीर्षासन करते थे। मुझे उन्हें योग करते देखना काफी अच्छा लगता था। वह कुछ किताबें भी बांटते थे। मैं उनसे बेहद प्रभावित था। फिर मैंने महात्मा सत्यानंद जी की योग की कुछ पुस्तकें पढ़ीं। उनकी लाइब्रेरी से हम कुछ किताबें मांग लेते थे। मैंने शुरुआती दौर में योग किताब पढ़ कर और देख कर सीखा। जब घर से निकल कर मैं खानपुर गुरुकुल (हरिद्वार) पहुंचा, तब योग ने असल में मेरे जीवन में कदम रखा। वहां पर मेरी मुलाकात आचार्य प्रद्युम्न से हुई और उन्होंने मुझे योग की बाकायदा ट्रेनिंग दी। वह अब भी हमारे साथ हैं। उसके बाद मैं कई गुरुओं से मिला। हर गुरु से मैंने कुछ-न-कुछ जरूर सीखा।

6. आप योग से कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं। यह कहां तक जायज है‌? मैं सारी बातें प्रमाण के साथ कहता हूं। मेरे हर दावे के पीछे एक रिसर्च है। कोई भी चाहे तो मेरे काम पर रिसर्च कर सकता है। मैंने कुछ छुपाया नहीं है। ऐसे में मेरे दावे को सरासर नकार देना गलत है।

7. आप योग गुरु हैं, बिजनेसमैन हैं और नेता भी। असल में आप हैं क्या और करना क्या चाहते हैं? मैं राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मामलों पर एक राय रखने वाला साधु हूं। इसमें कोई बुराई नहीं है। मेरी जिंदगी के चार लक्ष्य हैं - साधना, सेवा, सत्य और न्याय। इन्हीं के लिए मुझे जीना है।

8. एक योग गुरु को किस हद तक राजनैतिक होना चाहिए? भारत का इतिहास ऐसे गुरुओं और योगियों से भरा पड़ा है, जिन्होंने जरूरत पड़ने पर राजनीति में दखल दिया। मैं भी उतना दखल देने में कोई बुराई नहीं मानता।

9. आपको आरएसएस और दूसरे हिंदूवादी संगठनों का करीबी माना जाता है। ऐसा नहीं है। इन संगठनों को हमेशा किसी खास धर्म की आलोचना करते सुन सकते हैं, लेकिन क्या आपने मुझे किसी धर्म की आलोचना करते सुना है? फिर राममंदिर के बारे में जो उनकी राय है, उससे मैं अलग राय रखता हूं। महापुरुषों की जन्मस्थली को सहेज कर रखना सही बात है, लेकिन उसे किसी भी तरह से स्वाभिमान या प्रतिष्ठा का विषय नहीं मानता। मैं हर व्यक्ति में राम और कृष्ण जैसा चरित्र देखना चाहता हूं।

10. हम आपको चुनावी राजनीति में देख पाएंगे? ना, कभी नहीं।

11. आप नरेंद्र मोदी के करीबी हैं और केजरीवाल आपके पुराने साथी। दोनों को कैसे आंकते हैं? दिल्ली और केंद्र दोनों की तुलना व्यावहारिक नहीं है। हमारा केजरीवाल से कोई विरोध नहीं है। जो था, वह थोड़ा-बहुत ही था। मोदी जी मेरे करीबी हैं और केजरीवाल जी से भी हमारी अक्सर बात होती है।

12. दोनों में बेहतर कौन हैं? दोनों अच्छा काम कर रहे हैं।

13. ब्लैक मनी देश कब वापस आ रही है। मेरी मोदी जी से इस बारे में बात चल रही है। फिलहाल इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता। बस आप इतना समझ लीजिए कि ब्लैक मनी को लेकर सरकार से ज्यादा मैं खुद नैतिक दबाव में हूं।

14. पद्म अवॉर्ड पर भी विवाद हो गया। जब आपका नाम लिस्ट में नहीं था, तो आपने पहले ही इनकार कैसे कर दिया? मेरा नाम प्राइमरी लिस्ट में था, लेकिन जब मैंने इनकार कर दिया तो उन्होंने उसे फाइनल लिस्ट से हटा दिया। फाइनल लिस्ट में मेरा नाम नहीं आया और वही आरटीआई में लोगों को बताया गया।

15. बाबा रामदेव के बाद क्या? आपकी धरोहर कौन संभालेगा? हमारा पूरा ऑर्गेनाइज्ड स्ट्रक्चर है। कोई व्यक्ति विशेष अभी से मैं नहीं तय करने वाला। आगे जाकर कोई प्रखर व्यक्ति इसे संभालेगा।


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