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मच्छरों की धुन और मत सुन

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आज रॉनल्ड रॉस का जन्मदिन है। मलेरिया के क्षेत्र में उनके अद्भुत शोधकार्यों के लिए 1902 में उन्हें चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। आज बात करते हैं सिर्फ मच्छरों की, उनके जरिए फैलने वाली बीमारियों की, इनसे बचाव की और इनको अपने से दूर रखने की।

एक छोटा-सा मच्छर हमें कभी भी, कहीं भी काटकर गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। तभी तो मच्छर ने काटा नहीं कि दिमाग में बुरी बीमारियों के शिकार होने के ख्याल आने लगते हैं। एक्सपर्ट्स की मदद से इन सबसे जुड़ी जानकारी दे रही हैं अनु जैन रोहतगी।

जानें अपने दुश्मन को
अलग-अलग इलाकों में मच्छरों की अलग-अलग प्रजातियां हैं। ये मच्छर कई तरह के वायरस और पैरासाइट के जरिए कई तरह की बीमारियां तेजी से फैलाते हैं। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फाइलेरिया और जीका इनमें से कुछ हैं। मच्छर बहुत तेजी से बढ़ते और काटते हैं। मच्छर खतरनाक इसलिए भी है क्योंकि इनकी आबादी बड़ी तेजी से बढ़ती है और एक बार में ये एक-दो को नहीं, बल्कि दर्जनों लोगों को काट कर इंफेक्शन फैला सकते हैं। मादा मच्छर की उम्र नर के मुकाबले ज्यादा होती है। सिर्फ मादा मच्छर ही इंसानों या दूसरे जीवों का खून चूसती हैं। नर मच्छर सिर्फ पेड़-पौधों का रस चूसते हैं। मादा मच्छर दो से तीन बार अलग-अलग जगहों पर अंडे देती हैं। दिन में मच्छर ज्यादातर अंधेरी जगहों, दीवारों के कोने, परदों के पीछे, सोफे, बेड, टेबल आदि के नीचे छुपे रहते हैं। इसलिए रोजाना इन जगहों की अच्छी तरह से सफाई करें। सप्ताह में एक बार इन जगहों पर मच्छर मारने की दवा का छिड़काव करें।


मोटे तौर पर मच्छरों की तीन प्रजातियां हैं:


एडीज एजिप्टी

यह डेंगू, चिकनगुनिया, जीका फैलाती है। मादा ऐडीज एक बार में 50 से 100 अंडे देती है और एक दिन में 70-80 लोगों को काट सकती है। यह दिन में ऐक्टिव रहती है और खून की खुराक एक से पूरी न मिलने पर अलग-अलग लोगों को काटती है।

1- यह मादा मच्छर ज्यादातर घरों के साफ पानी में ही पनपती हैं। एक बार में 500 मीटर से ज्यादा का सफर नहीं कर सकतीं और ज्यादातर जमीन पर ही रहती हैं। इसलिए ये मच्छर ज्यादातर पांव में ही काटती हैं।

2- इनकी ब्रीडिंग मिट्टी के बर्तनों की बजाय प्लास्टिक, रबड़ के सामानों में होती है।

3- ये मादा मच्छर ठंडे वातावरण (एसी-कूलर) में पनपने लगी हैं।

चिकनगुनिया
यह भी डेंगू की तरह फैलने वाली बीमारी है। इसे भी मादा ऐडीज मच्छर ही फैलाते हैं। इसमें बुखार के साथ-साथ जोड़ों में ज्यादा दर्द होता है।

अनॉफ़िलीज़
यह मलेरिया फैलाती है। एक बार में 100 से 150 अंडे देती है। यह रात में ऐक्टिव होती है और 5-10 सोए हुए लोगों को काटने से ही इनकी खुराक पूरी हो जाती है। अनॉफ़िलीज़ मच्छर गंदे और साफ दोनों पानी में पनप सकती है। मादा अनॉफ़िलीज़ एक से दो महीने तक जिंदा रहती है। वह एक से डेढ़ किलोमीटर तक उड़ सकती है। अगर हवा का रुख इनके उड़ने की दिशा में है तो ये कुछ किलीमीटर ज्यादा उड़ लेती है।

क्यूलेक्स
यह फाइलेरिया फैलाती है। मादा 150-200 अंडे देती है और यह भी शाम के समय में लोगों को काटती है। यदि कोई संक्रमित मादा मच्छर अंडे देती है तो उससे पैदा होने वाले सारे मच्छर पहले से ही इन्फेक्शन लिए होंगे और किसी भी हेल्दी आदमी को काटेंगे तो उसे बीमार बना देंगे।


मच्छरों के काटने से कैसे बचें?
ऐसा तरीका ढूंढना होगा जिससे बाहर के मच्छर घर में नहीं आ सकें। इसके लिए जरूरी है घर के दरवाजे और खिड़कियों पर जालियां लगाएं। अगर बहुत जरूरी नहीं हो तो खोलें नहीं। एक सप्ताह के अंतराल पर घर और आसपास की सफाई जरूर करें। ये शाम और रात में रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं। इसलिए शाम को जरूरत पड़ने पर ही कमरों में लाइट जला कर रखें।

1- इसके अलावा घर में मस्कीटो रिपेलेंट जला कर रखें। ज्यादातर लोग इसे रात को जलाते हैं। इसे दिन में भी जलाना चाहिए क्योंकि मच्छर दिन में भी काटते हैं।

2- रात को सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोएं। यदि यह इन्सेक्टिसाइड से ट्रीट की हुई हो तो और अच्छा होगा। इसे आप ई-कॉमर्स साइटों पर तलाशकर खरीद सकते हैं।

ये खाएं, मच्छरों को दूर भगाएं

1- लहसुन, प्याज का सेवन करें।
2- टमाटर खाएं।
3- सेब से बना विनेगर इस्तेमाल करें।

कुदरती तरीके से भगाएं मच्छर
अगर हम केमिकल रिपलेंट इस्तेमाल नहीं कर सकते या उन्हें खरीद नहीं सकते तो कुछ नेचरल रिपेलेंट यूज कर सकते हैं। केमिकल रिपेलेंट की तरह ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि महानगरों और बड़े-बड़े शहरों में वैसे ही हवा बहुत प्रदूषित है। ऐसे में नीम, कपूर या किसी दूसरी चीज का धुआं इसे और बढ़ाएगा इसलिए कोशिश करें कि धुआं करने वाले रिपेलेंट चाहे केमिकल हों या नेचरल, उसका इस्तेमाल कम से कम करें। दरअसल, घर में धुआं अस्थमा के मरीजों के लिए ठीक नहीं होता।

1- मच्छर भगाने के लिए नीम की पत्तियों, कपूर, तेजपत्ता, लौंग को घर में जलाएं। इससे मच्छर भाग जाते हैं।
2- तारपीन का तेल भी मच्छर भगाने में मदद करता है।

3- ऑलआउट की खाली रीफिल में नीम का तेल और कपूर डालें और रिफिल को मशीन में लगाकर स्विच ऑन कर दें। मच्छर नहीं आएंगे। एक लीटर नीम के तेल में 100 ग्राम असली कपूर मिलाएं और घोल बना लें। इससे 25 बार रीफिल भर सकते हैं।

4- मशीन नहीं है तो कपूर और नीम के तेल का दीपक जलाएं।

5- एक नीबू को बीच से आधा काट लें और उसमें खूब सारे लौंग घुसा दें। इसे कमरे में रखें।

6- लेवेंडर ऑयल की 15-20 बूंदें, 3-4 चम्मच वनीला एसेंस और चौथाई कप नीबू रस को मिलाकर एक बॉटल में रखें। पहले अच्छी तरह मिलाएं और बॉडी पर लगाएं।

7- इसके अलावा लहसुन और प्याज के रस को शरीर में लगाने से भी मच्छर पास नहीं आते।

8- कई पौधों की खुशबू नैचरल तरीके से मच्छर भगाने का काम करती हैं। मैरीगोल्ड, सिट्रानेल या लेमनग्रास, लैवेंडर, लेमन बाम, तुलसी और नीम। ये पौधे घर और इसके आसपास लगाएं तो मच्छर दूर रहेंगे।


मच्छरों के मन को भाते हैं ये


1- कुछ लोगों को मच्छर कम काटते हैं, कुछ को ज्यादा और किसी-किसी को बिल्कुल नहीं। रिसर्च में पाया गया है कि मच्छर बी ब्लड ग्रुप वाले को सामान्य काटते हैं, ए ग्रुप वालों को ज्यादा और ओ ब्लड ग्रुप वालों को मच्छर सबसे ज्यादा काटते हैं। एबी वालों को सबसे कम काटते हैं। गर्भवती महिलाओं के प्रति मच्छर ज्यादा आकर्षित होते हैं। लाल, काले और नीले रंग के कपड़े पहने लोगों को भी मच्छर ज्यादा काटते हैं। ये गर्मियों में ज्यादा काटते हैं। मादा मच्छरों को प्रजनन के लिए गर्म खून की जरूरत पड़ती है, इसीलिए वे हमें काटती हैं।

2- मच्छर पनपने के लिए नमी वाली जगहों को ढूंढते हैं। ऐसे में उन्हें पसीना अपनी ओर खींचता है। इसलिए कोशिश करें कि अपने पसीने को जल्दी से सुखाएं।

3- पोटैशियम और नमक मच्छर को आकर्षित करते हैं, इसलिए खाने में इसका सेवन कम करें।

4- शराब पीने से शरीर से खास किस्म का केमिकल निकलता है, जो मच्छरों को पसंद होता है।

5- जिनके शरीर का तापमान ज्यादा रहता है, मच्छर दूर से ही उस शरीर को पहचान लेते हैं। ऐसे लोगों को भी सावधान रहना चाहिए।

रिपेलेंट लगाते समय रखें ध्यान

1- स्प्रे या क्रीम लगाएं तो ध्यान रखें कि ये आंखों, मुंह के आसपास ना जाए या किसी चोट पर न लगे।

2- जहां-जहां आपकी स्किन कपड़ों से बाहर है, सिर्फ वहीं इसको लगाएं।

3- सभी प्रकार के रिपेलेंट को बच्चों की पहुंच से दूर रखें।

4- जितना लगाने को कहा जाता है उतना ही इसे लगाएं या स्प्रे करें।

5- ध्यान रखें कि घर में यदि कोई अस्थमा का मरीज है तो मच्छर भगाने के लिए कोई धुआं देने वाली चीज ना जलाएं, चाहे वह मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती हो या नीम की पत्तियां।

6- कई लोगों को रिपेलेंट की गंध या धुएं से एलर्जी होती है, उनका भी ख्याल करें।

किस्म-किस्म के रिपेलेंट और क्या देखें रिपेलेंट में?
बाजार में अलग-अलग तरह के रिपेलेंट अलग-अलग दामों में मौजूद हैं। गुडनाइट, ऑलनाइट, मार्टिन जैसे रिपेलेंट मशीन के साथ 90-100 रुपये के बीच उपलब्ध हैं। पैच, रिस्ट बैंड 10 और 24 के सेट में 50 से 200 रुपये तक में मिल रहे हैं। ओडोमास और इसी तरह की अन्य क्रीम 40 रुपये से लेकर 100 रुपये में मिल रही हैं। अलग-अलग तरह के स्प्रे की कीमत 140 से 200 रुपये तक है। मच्छर मारने के अच्छे इलेक्ट्रिक बैंड, मशीन की कीमत कुछ ज्यादा है। ये 300 से 2500 रुपये तक में मिल रहे हैं। हर्बल स्प्रे, क्रीम या जलाने वाले रिपेलेंट के लिए आपको इनसे दुगनी या तिगुनी कीमत देनी पड़ सकती है। इन्हें खरीदने से पहले ब्रांड और उसमें मौजूद तमाम तत्वों के बारे में पढ़ें। सस्ते चाइनीज सामान से बचें। ये न तो हेल्थ के लिए अच्छे हैं और न ही पर्यावरण के लिए।

रिपेलेंट चाहे जलाने वाला हो, शरीर में लगाने वाला हो या हाथ में बांधने वाला, कोई भी रिपेलेंट खरीदने से पहले आपको उसमें इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग केमिकल पदार्थों की मात्रा जरूर देखनी चाहिए। इसी से उसकी क्षमता और असर का पता चलता है।

रिपेलेंट में डाइथीलटोलूअमाइड (DEET), पाइकाराइडिन (Picaridin), लेमन यूकलिप्टस का तेल, कई तरह के केमिकल जैसे आईआर 3535 और 2-अनडीकेनन का प्रयोग होता है। इसके अलावा रिपेलेंट में कई पौधों के तेल भी मिक्स होते हैं जैसे कि सीडर, सिट्रानेल, लेमनग्रास और रोजमैरी।

DEET (डीट)
अब तक का सबसे असरदार रिपेलेंट माना जाता है इसे। यह एक केमिकल बेस रिपेलेंट है। डीट मच्छरों को दो से बारह घंटे तक दूर रखता है। यह इस पर निर्भर करता है कि रिपेलेंट में इसका कितना इस्तेमाल किया गया है। हालांकि इससे बने रिपेलेंट को छोटे बच्चों को न लगाने की सलाह दी जाती है। ये रिपेलेंट रिस्टवॉच, लोशन, स्प्रे में उपलब्ध हैं। इसका इस्तेमाल करने से पहले इस पर लिखी गाइडलाइंस को जरूर पढ़ें।

पाइकाराइडिन
यह एक नया रिपेलेंट है और असरदार भी माना जाता है। यह मच्छरों को अपने शिकार को पहचानने से भ्रमित करता है। इसकी गंध ज्यादा तेज नहीं होती। 20% क्षमता के साथ इससे बने रिपेलेंट मच्छरों को 8 से 14 घंटे तक दूर रखते हैं।

लेमन यूकलिप्टस ऑइल
यह नेचरल रिपेलेंट है और छोटे बच्चों के लिए ठीक रहता है। इसके अलावा नेचरल प्लांट ऑयल (सीडर, सिट्रानेल, लेमनग्रास और रोजमैरी) से बने रिपेलेंट भी बाजारों में उपलब्ध हैं। हालांकि ये रिपेलेंट एनवॉयरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी से, जो रिपेलेंट की क्षमता और पर्यावरण पर उसके असर को तय करती है, मान्यता प्राप्त नहीं हैं। फिर भी विशेषज्ञ इन्हें असरदार मानते हैं और काफी लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।

रिपेलेंट में कितना हो केमिकल?

सबसे असरदार रिपेलेंट में डीट की मात्रा 20 से 30 फीसदी और पाइकाराइडिन 20 फीसदी या 30 फीसदी लेमन यूकलिप्टस का तेल होना चाहिए। इसलिए किसी भी प्रकार का रिपेलेंट लें तो ये चीजें जरूर चेक करें। इसके अलावा हर्बल रिपेलेंट में भी हर्बल तेल की मात्रा जरूर देखें।

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